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________________ १०, बर्व ४२, कि० ४ अनेकान्त ८. पार्श्वनाथचरित, प्रशस्ति पद्य ५ २६. द्रष्टन्त : "एकीभाव स्त्रोत" की परमानन्द शास्त्री ६. द्रव्यव्य : जैन शिललेख संग्रह भाग २, लेखांक द्वारा लिखित प्रस्तावना पृ० ४ एवं नाथूराम प्रेमी २१३-२१६ का "बादि राजमूरि" लेख, जैन हितैषी भाग ८ अंक १०. वही भाग ३ की डा० गुलाबचन्द चौधरी द्वारा ११ पृ० ५११ लिखित प्ररतावना पृ० ३८ से उद्धृत ३०. सस्कृत साहित्य, प्रथम भाग, काव्य खण्ड, पंचम ११. द्रष्टव्य . श्री नाथूराम प्रेमी द्वारा लिखित "वारिद परिच्छेद पृ० २४५ राज सूरि" लेख । जैन हितैषी भागद. अक११० ३१. भारतीय सस्कृति के विकास मे जैनधर्म का योगदान १२. जैन धर्म के प्रभावक आचार्य (द्वितीय सस्करण) वादिराज पचानन आचार्य वादिराज (द्वितीय), पृ० ५७० १३. जैन साहित्य और इतिहाम, पृ० ४७८ १४. इन्ट्रोडक्शन टू यशोधरचरित, पृ० ५ १५. सस्कृत साहित्य का इतिहाम (कोथ, अनु०-मगलदेव शास्त्री) पृ० १७७ एव जैनिज्म इन दा हिस्ट्री आफ सस्कृन लिटरेचर : एम० विन्ट नित्ज, पृ० १६ १६. जैन शिलालेख सग्रह, भाग १, लेखाक ४६३ १७. वही भाग ३, लेखांक २४७ १८ द्रष्टव्य : सरस्वती भवन, झालरापाटन को हस्तप्रति का प्रारम्भिक प्रत्रिज्ञावाक्य १९. वही, अनत्यप्रशस्ति २०. पार्श्वनाथचारत, प्रशस्ति पद्य ४ (वादिराजेन कथा निबद्धा) २१ यशोधचरित १/६ (तेज श्रीवादिराजेन) २२. द्रष्टव्य · कल्याणी के पश्चिमी चालुक्य वश की वंशावली फादर हराश व श्री गुजर, विक्रमाकदेवरित भाग २ (हिन्दु वि० वि० प्रकाशन) परि. शिष्ट पथा जन शिलालेख संग्रह भाग ३ की डा. चौधरी द्वारा लिखित प्रस्तावना, पृ० ८८ २३. विक्रमांकदेवचरित १/५८-७९ २४. वही, २/१ २५. पार्श्वनाथचरित प्रशस्ति पद्य ५ २६. न्यागविनिश्चय विवरण प्रशस्ति पद्य ५ २७. यशोधरचरित ३/८३ एवं ४/७३ २८. शाकाब्दे नगवाघिरन्धगणने.....। पार्श्वनाथचरित, प्रशस्ति पद्य ५ ३२. वही, पृ० १२६ ३३. वही, पृ० १८८ ३४. वही, पृ० ८६ ३५. त्रैलोक्यदीपिका वाणी द्वाभ्यामे वोद्गादिह । जिन गजन एकम्मादेकस्माद् वादिराजः ।। -जनशिलालेख संग्रह भाग-१ लेखाक ५४, मल्लिषेण प्रशस्ति, पद्य ४० ३६. सस्कृत गाहित्य का इतिहास, भाग १, पचम परिच्छेद, पृ० २१५ ३७ जैन शिलालेख संग्रह भाग २, लेखांक २१५ एव वही भाग ३ लेकांक ३१६ ३८. जैन शिलालेख संग्रह भाग २, लेखाक २१३ एव भाग ३ लेखाक ३१५ ३६. वादिराजमनुशाब्दिकलोको वादिराजमनुताकिकसिंहा वादिराजमन काव्यकृतस्ते वादिराजमनुभाव्यसहायाः।। एकीभाव, अन्त्य पद्य ४० वादिराजकवि नौसि मेदिनी तिलकं कविम् । यवीय सनारगे वाणी नर्तनमातनोत् ।। यशोधर चरित, टीकाकार का मगलाचरण ४१. श्री अगरचन्द्र नाहटा द्वारा लिखित "जैन साहित्य का विकास" लेख । जैन सिद्धान्त भास्कर भाग १६ किरण १ जून ४० पृ० २८ ४२. एकीभाव स्त्रोत, प्रस्तावना, पृ० १६ ४३. जैन शिलालेख सग्रह, भाग १, लेखांक ५४, प्रशस्ति पद्य ४० ४४. जैन साहित्य और इतिहास, पृ० ४०४ ४५. विद्वद्रत्नमाला में प्रकाशित हिन्दी लेख का पार्श्व. नाथचरित के प्रारम्भ मे झंस्कृत में वादिराजसूति का परिचय।
SR No.538042
Book TitleAnekant 1989 Book 42 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1989
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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