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________________ वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक -. अनेकान्त (पत्र प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वर्ष ४१ : कि०४ 1 अक्टूबर-दिसम्बर १९८८ इस अंक में क्रम विषय १. परमात्मा-स्तवन २. संघे शक्ति कलीयुगे -स्व० डा. ज्योतिप्रसाद जैन ३. हिन्दी के विकास में जैन कवियों का योगदान -डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल ४. आवली काल तक अनन्तानुबन्धी -श्री जवाहरलाल जैन शास्त्री ५. भाषा बदलाव का क्या मूल्य चुकाना पड़गा? --श्री पचन्द्र शास्त्री, दिल्ली ६. आचार्य अमित गति : वक्तित्व और कृतित्व -कु० सुषमा जैन सागर ७. प्राप्त कुछ प्रश्नो के उत्तर -श्री जवाहरलाल मोतीलाल भीण्डर ८. ब्रत : स्वरूप और माहात्म्य --लेखक क्षल्लकमणि श्री शीतल सागर महाराज २१ ६. जैन ग्रन्थों में विज्ञान -श्री प्रकाशचन्द्र जैन प्रिंसिपल १०. जरा सोचिए : -सम्पादक ११. आप सादर आमत्रित हैं ! आवरण पृ० २ प्रकाशक: वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538041
Book TitleAnekant 1988 Book 41 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1988
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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