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वर्ष ४० कि० ३
वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक
अनेकान्त
( पत्र-प्रवर्तक : श्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर')
इस अंक में—
क्रम
विषय
१. "मैं" और "तू"
डा० कु० सविता जैन २. दिवंगत हिन्दी सेवी डा० ज्योति प्रसाद जैन ३. १०वीं शताब्दी के जैन काव्यों में बौद्धदर्शन
की समीक्षा - श्री जिनेन्द्रकुमार जैन
४. ऋषभ, भरत और बाहुबलि का चारित्रिक विश्लेषण - श्रीमती डा० ज्योति जैन
पृ०
१
२
४
2
५. सम्यक्त्व प्राप्ति यत्न साध्य है या सहज साध्य है - श्री बाबूलाल जैन
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६. एक अप्रकाशित कृति अमरसेन चरिउ
- डा० कस्तूरचन्द्र 'सुमन'
७. क्या मूलाचार यापनीय ग्रन्थ है - डा० कुसुम पटोरिया
८. जैन समाज किधर जा रहा है। - श्री भंवरलाल जैन न्यायतीथं
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२. श्वेताम्बर तेरापंथ द्वारा दिगम्बर समाज पर बुला प्रहार - श्री पद्मचन्द्र शास्त्री
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१०. 'सिद्धा ण जीवा' - धवला - श्री पद्मचन्द्र शास्त्री २५ ११. जरा सोचिए : -सम्पादकीय ३०
जुलाई-सितम्बर १९८७
प्रकाशक :
वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली- २