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________________ 4.सिनिस त 'धर्मसार सतसई' बणिम महिमा गरिमा सार, लघिमा ईसत्व वसत्व गुणधार । काम कामत्व बुद्धि बहु लहीज, ए अष्टो ऋद्धिदेव की कहीं जै ॥१ दोहा -देव सुख को गेनि कहै, सौलह स्वर्ग प्रमाण । नाम आयु विधि सुख कहै. सुनि हो चतुर सुजान ॥१२० चौपाई-सौधर्म प्रथम ईशान जुजानि, तहां पटल इकतीस वखानि । विमान साठ लाख युति धार, ऊंची सकल सुनी विस्तार ॥१२१ दोहा-मरे तरें (नीचे) ते लेखि जे राजु हेढ उचित्त । सौधर्म कही ईशान पुनि यह प्रमाण सुनिमित्त ॥१२२ चौपाई-सागर दीय आयु उत्कृष्ट, हाथ सात उन्नत तनु इष्ट । काया सौ सुख भुगतें धीर, अव सुनु जु (यु) गल दूसरो वीर ॥१२३ सनतकुमार माहेन्द्र जु नाम, बीस लाख तहं कहे विमान । सात पटल पुनि सोहै जहां, राजु डेढ़ उचित है जहां ॥१२४ सागर सात आयु तहं कहीज, कर छह उन्नत देह लहीज। देह स्पर्शन सुख हित काम, युगल तीसरो कहीजे नाम ॥१२५ ब्रह्म ब्रह्मोत्तर जानहु स्वर्ग, विमान चार लाख सुनि वर्ग। राजु आध उचित्त अवकाश, -चार पटल सोहै सुख वासु ॥१२६ सागर दस तहं आयु जु लीन, पंच हाथ तहं देह प्रवीन । रति . सुख माने देखे रूप, 'चौथो युगल सुनो पुनि भूप ॥१२७ लातव अरु कापिष्ट बखानि, "राजु अर्ध उचित्त सु जानि । पटल दोय तहं सोहै घने, सहस पचास विमान अति बने ॥१२५ चौदह सागर मायु जु कही, पंच हाथ तनु उन्नत सही। रूप देख पुनि माने भोग, पंचम युगल सुनो नृप जीग ॥१२६ 'शुक्र जु महाशुक्र अभिराम, सहस चालीस विमान शुभ धाम । पटलं एक सुनि श्रेणिक भूप, राजू एक उचित्त स्वरूप ॥१.. सोलह स्वर्ग आयु तह लहै, हाथ चार देह उन्नत शुभ कहे। शब्द ? सुनै मानं शुभ काम, 'युगल घटी सुनियो तुम राम ॥१३१ 'संसार जुअरि कहिए सहवार, विमान सहस षट सौहे सार । 'राजु उचित्त आध तंह लेखि, पटल एक पुनि कहिये पेखि ॥१३२ साढ़े तीन हाथ तनु उच्च, शब्द "सुनै सुख मान उच्च । भठारह सागर आयु शुभ अंत, सातवा जुगल कही पुनि संत ॥१३३ ऑनत प्राणत है सुख (इ) दाय, सागर बीस आयु तहं आई। करत तहां तीन देह अति सोहै, मन की उमंग यहां सुख मोहे ॥१३४ अष्टम युगल सुनो तुम नाम, आरण अच्युत है सुख धाम । हाथ अढ़ाई सौ है देह, मन ते सुख भुगतं रतिनेह ।।१३५ सागर आयु कही बाईस, पुनि तुम पटल सुनो न रईस । स्वर्ग चार छःह पटल वखानि, राजु एक ऊंच सब जानि ॥१३६ विमान सात सौ चार हुंथोक, ___ इह विधि कहो सुनो सुरलोक । अधोग्रेवेयक पटला है तीन, विमान एक सौ ग्यारह लीन ॥१७ (शेष पृ० २६ पर)
SR No.538039
Book TitleAnekant 1986 Book 39 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1986
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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