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________________ पौर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वर्ष ३८: कि०३४ जुलाई-दिसम्बर १९९५ - इस अंक में विषम १. भव दुख बैगि हरो २. जाति और धर्म : डा. ज्योति प्रसाद जैन ३. एक दिन तुमसे मिलूंगी : हा० सविता जैन ४. १६३ बनाम १३६ : श्री बाबूलाल 'वक्ता' ५. अपघ्र श साहित्य की एक अप्रकाशित कृति : पुण्यासय कहा-डा. राजाराम जैन आरा ६.धर्मसार सतसई : श्री बुन्दनलाल जैन ७. धर्म का मलाधार आस्था या अंधास्था : -०प्रशुम्न कुमार जैन । ८.हिन्दी जैन काव्य के अजान कवि : डा. गंगाराम २३ ६. अनुकलता प्रतिकूलता : हरिकृष्णदास 'हरि' २५ १०. णायकुमार चरिउ की सूक्तियां : डा. कस्तूरबंद २६ ११. जैन दर्शन में ईश्वर की अवधारणा: -कु० मीनाक्षी शर्मा १२. श्रमण सस्कृति : श्री सुरेन्द्र पाल सिंह १३. प्रमावती रानी की कथा १४. जैनत्व का मूल आधार : अपरिग्रह । -सम्पादक 'वीरवाणी' १५. विग्यश्री कन्या की कथा १५. जरा सोचिए-सम्पादकीय प्रकाशक वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538038
Book TitleAnekant 1985 Book 38 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1985
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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