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साहित्य-समीक्षा
[जैन सिद्धांत
लेखक: सिद्धांताचार्य पं० श्री कैलाशचन्द्र शास्त्री : प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली
साइज - १८x२२ x १६, पृष्ठ २२०, मूल्य : २० रुपये ।
श्री कैलाशचन्द्र शास्त्री जैन-सिद्धांत के अवाह मधुर सागर हैं । प्रस्तुत कृति जैन सिद्धान्तगत विषयों का सारपूर्ण विवेचन है। प्रकाशक के सही शब्दों मे जिसे पडित जी ने चार अनुयोग द्रव्य गुण-पर्याय, स्वाद्वाद नयवाद कार्यकारण विचार, जीव-आत्मा, गुणस्थान, मार्गणाए पुष्यपाप, सम्यग्दर्शन -सम्यग्ज्ञान- सम्यक्चारित्र तथा उनका पारस्पारिक सम्बन्ध सिद्धति एवं अध्यात्म का विषयभेद आदि द्वारो से अपनी शैली में सजोया है ।
७० है । पुण्य-पाप का शास्त्रीय दृष्टिकोण, जीवन में संयम एव पारित्र का महत्व, महावीर धर्म में क्षमा आदि प्रसंग साधारण पाठको को सरलता से समझ मे आ सकते हैं । पूर्वाचार्यो - समन्तभद्र, कुन्दकुन्द, गृद्ध पिच्छ आदि के संबंध में गहरी जानकारी दी गई है, जो उपयोगी हैं । विखरे लेखों के एकत्र सग्रह ने पाठकों की सुविधा बढ़ा दी है अब उन्हें कोठिया जी के विचारों को जानने के लिए पत्र-पत्रिकाओ की पुरानी फाइले बिना खोजे ही सभी सामग्री सुलभ होगी ग्रन्थ संग्रहणीय है प्रकाशन आदि उत्तम है। । । लेखक-प्रकाशक सभी सम्मान
है।
निःसन्देह, जैन सिद्धात एव अध्यात्म जितना कठिन है उतना ही वह सरल भी है। पारगत, अनुभवी और ग्राहक की नाड़ी की परख याला प्रयोक्ता कठिन से कठिन विषय को सरल बना देता है। पंडित जी ने अनेकानेक रूपों में अनेकानेक विषय धार्मिक क्षेत्र में प्रस्तुत किए हैं और सभी सफल रहे हैं। प्रस्तुत कृति भी जिज्ञासुओं की पिपासा को सहज ही शान्त करने में समर्थ होगी ऐसा हम मानते हैं । ग्रन्थ की छपाई आदि ज्ञानपीठ के सर्वथा अनुरूप है बधाई ।
जेन तस्य ज्ञान मीमांसा :
लेखक : डा० दरबारी लाल कोठिया प्रकाशक वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट, प्रकाशन, वाराणसी साइज : २०x३० X ६ पृष्ठ : ३७४, मूल्य : ५०रु०
प्रस्तुत संग्रह, जैन-न्याय दर्शन के ख्यात विद्वान डा० कोठिया जी के उन लेखों का सग्रह है जो विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं। इसमे धर्म, दर्शन, न्याय, इतिहास, साहित्य एवं तीर्थों, पर्यो, विविध सन्तों, विद्वानों के परिचय भूत पंचमी जम्बू श्रुत विनाष्टक बादि जैसे विषय यभित है। निबन्धों की संख्या
एकार्थक कोश व निरुक्त कोश (दो फोश) : वाचना प्रमुख आचार्य श्री तुलसी प्रधान सपादक : युवाचार्य महाप्रज्ञ
सम्पादक : विभिन्न साध्वियाँ
समणी कुसुम प्रज्ञा, साध्वी-सिद्धप्रशा साध्वी निर्वाणश्री
प्रकाशक जैन विश्व भारती, लातू
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साईज : २३३६ × १६ पृष्ठ क्रमश: ३६६ : ३७० | मूल्य ५० व ४० रुपए ।
सन् १९७६ की बात होगी - पंचकूला मे डा० नथमल टाटिया का सकल्प उन्ही से सुना था कि वे जैन- शब्दकोश के निर्माण के प्रति समर्पित रहना चाहते हैं और ऐसा कार्य करना चाहते हैं कि श्वेताम्बर जगत के आगम-ज्ञान की प्यास से कोई प्यासा न रहे और जैन श्वेताम्बर आगमों को सभी सरलता से समझ सकें। हमें खुशी है कि आज उस संकल्प का प्रारम्भिक कार्य साधन से साधु-साध्वियों के द्वारा प्रकाश में आया और डा० टांटिया के पुरोवचनप्राक्कथन के साथ उसका श्रीगणेश हुआ ।
श्वेताम्बर आगम साहित्य के प्रकाशन में जैन विश्व भारती का पूर्ण प्रयास है। वहां के साधु-साम्बीगण इस (शेष पु० आ० ३ पर)