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गतांक से भागे:
वर्धमान की तालीम
Dशायर फरोग नक्काश
नहीं है कुछ जियादा फर्क इन दोनों उसूलों में, बरासा बोध" है कुछ इनके मानीयो-मतालिब" में। इलावा इसके जैनी जोर देते हैं अहिंसा पर, समझते हैं वो फाका और उरियानी" को अफजलतर"। जहां तक मोक्ष और निर्वाण का कुछ जिक्र आता है, तो उसमें एक्तलाफ और बोध काफी पाया जाता है। गरज ये मोक्ष हो तस्किने दिल का नाम है बेशक, दिया पैगाम जिसका वर्षमा ने तोस सवत् तक । इलावा इसके दोनों धर्म के यकसा मसाईल है, तनासुख", पारसाई" और नेकी से मुमासिल" है।
मुकद्दस वेब की तालीम से इंकार है इनको, गिरोहे बरहमन को बर्तरी से मार है इनको। वो इंसा के लिए नोच-ऊँच को कहते हैं एक लानत, उन्हें भाती नहीं उनकी, खुदाराई" किसी सूरत। छुआ-छुत और नस्ली बरतरी को जुल्म कहते हैं, वो इस सर्जे तमदुन" से हमेशा दूर रहते हैं। खुदा के मसले पर भी ये दोनों चुप ही रहते हैं, न कोई बात ही इस जिम्न" में वो मुह से कहते हैं।
जैन धर्म के दो फिरके फिर उसके बाद जैनी धर्म में तब्दोलियां मायी, घटाए इक्तलाफ और तकिके" को खूब मंडराई। करीबन सेहसदी पहले जनाबे इब्ने मरियम के, बने दो तायफै“ इनमें कैफे नैरंगे' आलम से। है एक फिरका दिगंबर दूसरा श्वेतांबर नामी, बटे दो तायफे में इनके सब हमदर्द और हामी। दिगंबर तायफे के मोतकिद" है जिस कदर जैनी, परस्तीश करते हैं उरियां बतों को और संतों की। दिगर इसके जो है श्वतांबर फिरका वो है सानी, नहीं है इसमें पहले तायफे की तरफ उरयानी। मुकद्दस संत उनके सित्रे अबियज पहने होते हैं," हमा", लहजा, तजल्ली" अपने सीने में समोते हैं । बुतों को अपने पहनाता है मलवूसात"ये फिर्का, निहायत साफो-शुस्ता रखता है जज्बात ये फिर्का । मईशत कि बिना इस कौम की काफी है मुस्तहकम," बिनाए फारेगुल बालो"है वजहे तज"ही, अहेकम"। है इस मजहब के ५० लाख इंसा आज भारत में, जो अपने आप को मसरफ रखते है तिजारत में। मगर ये तायफा भी रफ्ता-रफ्ता दौरे आखीर में, पुरातन धर्म का एक जुज्वे है अब ये अने हाजिर में।
प्रस्तुति-डा. शालिग्राम मेश्राम
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४५. दूरी, ४६. मतलब, ४७. भूखा रहना, ४८. निर्वस्त्र, ४६. बहुत अच्छा, ५०. समस्याएँ, ५१. आवा गमन, ५२. नेकी, ५३. समान, एकरूप, ५४. अपने आपको अच्छा समझना, ५५. रहन-सहन, ५६. मिला हुआ, ५७. फूट, शत्रुता, ५८. गिरोह, ५६. समय की आंधी में ६०.धर्म पर विश्वास रखने वाले, ६१. सफेद कपड़े, ६२. हर वक्त, ६३. ईश्वर की रोशनी, ६४. कपड़े, ६५. कारोबार, ६६. बहुत मजबूत, ६७. खुशहाली, ६. तिजारत ६६. मजबत ।