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________________ और सेवा मन्दिर का त्रैमासिक अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'पुगवीर') वध ३७:कि०४ अक्टूबर-दिसम्बर REEN इस अंक में - विषय १. अनेकान्त महिमा २. पट्ट महादेवी शान्तला-डा. ज्योति प्रसाद जैन, लखनऊ ३.६० शिरोमणिदास की 'धर्मसार सतसई' -श्री कुन्दनलाल जैन, प्रिन्सिपल, दिल्ली ४. क्या राजा श्रेणिक ने आत्म-हत्या की? -प. श्री रतनलाल कटारिया ४.पंच-महावत-श्री बाबूलाल वक्ता १. वाचनिक अहिंसा : स्याद्वाद -श्री अशोक कुमार जैन एम.ए ७. एक अप्रकाशित अपना-रचना -डा. कस्तूरचन्द्र 'सुमन' ८ पांच अश्व (कविता)-कुमारी ढा० सविता जैन २५ ६. णमोकार मत्र का फल-पुण्याश्रय कथा कोशा से २६ १०. वर्धमान की तालीम -शायर, फरोग नक्काश ११. सम्पादकीय मेंट साक्षात्कार-प्रसंग में आवरण २ वीर सेवा मन्दिर की वर्तमान कार्यकारिणी , ३ 21 - वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली:२
SR No.538037
Book TitleAnekant 1984 Book 37 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1984
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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