________________
३२, वर्ष ३७, कि० ३
दुखद निधन
वीर सेवा मन्दिर की कार्यकारिणी के सदस्य श्री रत्नत्रयधारी जैन एडवोकेट का आकस्मिक निधन हो गया है । वे अन्य अनेकों संस्थाओं से संबद्ध, समाज के कर्मठ कार्यकर्ता थे। उनके निधन से अपार क्षति हुई है । वीर सेवा मन्दिर परिवार दिवंगत आत्मा की सुख-शान्ति की प्रार्थना और उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना प्रकट करता है ।
की । ये प्रतिमायें लगभग पन्द्रह सौ वर्ष प्राचीन होगी ।"
अत: जैन मूर्तियों पर आलेखित लेखों ताम्रपत्र, तथा शिलालेखों आदि में उपलब्ध सामग्री से भगवान पार्श्वनाथ की महत्ता जैनकला और स्थापत्य में स्पष्ट प्रकट होती है ।
तीर्थ प्रथम भाग पेज १२२
अनेकान्त
४. वही पेज १२७
"1 "
५. वही
१. लेखक - श्री रतनलाल जैन जैन धर्म पेज १२४ २. लेखक --- वादिराजसूरि कृत पासणाहचरिउ ७३/७५ हयसेण वम्मिला जादो वाराणसीए पासजिरगो । पूसस्स बहुल एक्कारसिए रिक्खेविसाहाए ||
३. सम्पादक - बलभद्र जैन
भारत के दिगम्बर जैन
""
(पृष्ठ २२ का शेषांश)
"3
सन्दर्भ-सूच
६. वही७. वही
"1 33
८. लेखक - अजित कुमार जैन : जैनकला तीर्थ गोपाचल, स्याद्वद ज्ञानगंगा पत्रिका जुलाई ८४ | पेज २७ । ९. वही, पेज २६
१०. संकलन सुरेश ढोले : लेख ऐलोरा की गुफायें : आचार्य विमल सागर म० १८ वी जन्म जयन्ती समारोह स्मारिका ।
११. सम्पादक बलवद्र जैन भारत के वि० जैन ती पेज ३४ पर |
स्थापत्य की दृष्टि से भगवान पार्श्वनाथ के मन्दिरों में प्राप्त मूर्तिया एव भग्नावशेष जैन-कला में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं ।
महासचिव वीर सेवा मन्दिर
१२. वही पेज ३४ पर
33
१३. वही
१४.
१५.
"
11 ")
२१.
२२.
२३.
ܕܐ
21
१६. लेखक – नरेश कुमार पाठक अनेकान्त जनवरी मार्च पेज ६
१७. वही पेज ६ पर १८.
"
33
"
- जैन मन्दिर के पास, बिजनौर पिन कोड -- २४६७०१ ( उ०प्र०)
१६. सम्पादक बलभद्र जैन
"1 "1 "1 "1
भारत के दिगम्बर जैन
तीर्थ प्रथम भाग पेज १२८
२०. वही पेज ५६ भारत में दि० जेन तीर्थं
"
"} "1
""
२६. भारत के दि० जैन तीर्थ भाग १ पेज १०४ २७. लेखक – कु. बन्दना जैन : खजुराहो दर्शन : मंगल ज्योति स्मारिका ।
२८. जैन शिला लेख संग्रह भाग २ पृ०२२७ २२८ २६. भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ भाग १ पेज ६१ सम्पादक बलभद्र जैन ।