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नव वर्ष दिवस
D रमाकान्त जैन, बो. ए०, सा० रत्न, तमिल कोविद हमारे देश भारत मे नव वर्ष-दिवस वर्ष में अनेक बार, पाटियां रही हैं। इनमे मुख्य दो हैं-एक सूर्य को आधार अनेक प्रकार से मनाया जाता है । अन्तर्राष्ट्रीय कलैण्डर बनाकर और दूसरी चन्द्रमा को आधार बनाकर । मोटे (ग्रेगोरियल कलैण्डर) के अनुसार अब यदि अधिकतर तौर से सूर्य को आधार बनाकर की गई काल-गणना "सौरलोगों द्वारा नव-वर्ष दिवस पहली जनवरी को मनाया जाता वर्षीय" और चन्द्रमा को आधार बनाकर की गई कालहै तो दक्षिण भारत मे तमिलनाडु में नव वर्ष मकर- गणना 'चन्द्रवर्षीय' कहलाती है। सौर वर्ष की भी गणना संक्रान्ति (१४ जनवरी) को मनाया जाता है। भारत के दो प्रकार से की जाती है-एक सायन विधि से और वर्तमान राष्ट्रीय पचाग (कलैण्डर) के अनुसार नववर्ष का दूसरी निरयण विधि से । इन दोनो गणनाओ मे थोडा आरम्भ चैत्र मास की प्रथम तिथि (२२) मार्च को होता अन्तर होता है। भारत सरकार द्वारा अपनाये गए है। सरकार अपना वित्तीय वर्ष पहली अप्रैल (मूर्ख दिवस) राष्ट्रीय पांग मे सायन सौर वर्ष को ही आधार बनाया से आरम्भ करती है, तो भारत का कुछ व्यापारी वर्ग गया है जिसमें वर्ष मे ३६५-१/४ दिन माने गए है । ग्रेगोराम-नवमी से नया वर्ष मान अपने बहीखाते बदलता है रियल कलैण्डर भी इसी सायन सौर वर्ष पर आधारित और अधिकांश व्यापारी दशहरे से अथवा दीपावलि को है। काल-गणितज्ञो के अनुसार वर्तमान में सायन सौर-वर्ष लक्ष्मी-पूजन के उपरान्त कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से अपना ओर निरूपण सौर-वर्ष मे साढ़े-तेइस दिन को अन्तर है। नया व्यापारिक वर्ष आरम्भ करते हैं। शिक्षण-सस्थाओ अतः जबकि राष्ट्रीय पचाग मे चैत्र प्रतिपदा २२ मार्च को में नया वर्ष या नया सत्र प्रायः जुलाई में आरम्भ होता मानी गई, निरयण सौर वर्ष के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिहै। वर्ष-वर्ष दिवसों की सूची यही पर समाप्त नहीं हो पदा १४ अप्रैल को, अर्थात् २३ दिन बाद, पड़ रही है। जाती। इनका सम्यक् लेखा देना सरल नही है। इन भारत में अनेक पचाग ऐसे है, जो चान्द्र वर्षीय कालविभिन्न नव-वर्षों के मध्य इस वर्ष (१९८३ ई० की) १४ गणना पर आधारित हैं । मुसलमानो की कालगणना और अप्रैल को आरम्भ होने वाला नव-वर्ष क्या है और उसका उनके हिजरी सन् का आधार भी चन्द्र मास है। क्या ऐतिहासिक महत्त्व है, उसकी समीक्षा करने का यहां भारत के वर्तमान राष्ट्रीय पंचाग के लिए जो संवत् प्रयास किया जा रहा है।
अपनाया गया है वह है ईस्वी सन् ७८ मे आरम्भ हुआ यह नव-वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होता शक-सवत् । जैसा कि इस सवत् के नाम से स्पष्ट है इसके है। यहां यह उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पचाग का नव- प्रवर्तक विदेशी शक थे। ईस्वी सन् का आरम्भ यदि ईसावर्ष भी चैत्र माम की प्रतिपदा से आरम्भ होता है, जो मसीह के जन्म से किया गया तो हिजरी सन् का पैगम्बर २२ मार्च को पड़ चुकी है। होली का त्यौहार चैत्र कृष्ण हजरत मुहम्मद के मक्का से मदीने जाने की घटना की प्रतिपदा, २६ मार्च को हो चुका है और बगला पंचांग के याद मे । भारत मे तो सवत् और सन् आरम्भ करने अनुसार चैत्र मास का आरम्भ इस वर्ष १५ मार्च को ही अर्थात् कालगणना करने हेतु मील के पत्थर गाड़ने की हो चुका था। अत. चैत्र मास की इन विभिन्न तिथियों परम्परा बहुत प्राचीन है । प्रायः सभी भारतीय धार्मिक की गणनाओं का समाधान भी आवश्यक है।
परम्पराओं में अपनी-अपनी कालगणना है जो कही-कही प्राचीन काल से ही काल गणना की विभिन्न परि- इतिहास काल का भी अतिक्रमण कर गई है । यदि तीर्थकर