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________________ माधुनिक भारवेल तक उन बातों की अच्छी तरह से छानबीन न कर लेते थे। प्रति दिन गुल्लक में डालकर जमा करे पोर इस धन को छानबीन करने से जिसकी गलती होती थी उसके विरुद्ध सोसायटी के पास भेजे । मैंने भी इस अपील के मुताबिक उचित कार्यवाही करते थे। मुझे उनकी इस प्रकार की 312 रु. 50 पैसे जमाकर श्री सुकुमार चंद जैन महा मंत्री बातों का ख़ब अनुभव है। अक्सर झूठी चुगली करने वालों के पास मेरठ भेजे और इसी उपलक्ष में जीर्णोद्धार प्रादि पौर शिकायत करने वालों को अपने स्वार्थवश नीचा कार्य कराये । इस प्रकार इस प्रपोल से जैन समाज को देखना पडा । साहजी मुनि श्री शांति सागरजी, मुनि श्री प्रोर से हजारों की संख्या में धन राशि प्राप्त हुई। यह देशभूषण जी, मुनि श्री विद्यानन्द जी और मुनि श्री भी एक महान कार्य था। साह जैन संस्थानों ने देश की गणेशकीति जी प्रादि साधनों के सच्चे भक्त थे। वे विद्वानों, जो सेवायें की हैं वे सर्वविदित हैं। इससे साह जी का पंडितों और धार्मिक-सामाजिक कार्यकर्तापों का भी प्रादर नाम अमर रहेगा। वे भारत के प्रमुख उदयोगपति तथा करते थे। भारतीय ज्ञानपीठ के द्वारा जैन धर्म के शास्त्र, भारतवर्गीय जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष तीर्थभक्त, पुस्तकें, क्षेत्रों के इतिहास व नक्शे पोर नवीन प्रच्छी-अच्छा प्रावक शिरोमणि, समाज सेवक, दानवीर साह श्री शांति पुस्तकें लिखवा-निववा कर प्रकाशित करा कर देश-विदेशो प्रमाद जी जैन की प्रेरणा से उनकी धर्मपत्नी तथा साह मे प्रचार कराते थे जिससे जैन धर्म की उन्नति होती थी। जन ट्रस्ट की अध्यक्षा श्रीमती रमा जैन जैसी महान् साहजी सबसे अच्छी पुस्तक लिखने वाले विद्वान को ज्ञान प्रात्मानों ने उपरोक्त तीर्थ स्थानों को प्रकाश में लाने तथा पीठ द्वारा हर साल एक लाख रुपये का पुरस्कार दिया करते उनका जीर्णोद्धार व मूर्तियो की सुरक्षा के लिये "माहू जैन थे। साह जैन सस्थानो ने देश की जो सेवाये की है वे संग्रहालय", यात्रियो प्रादि की सुविधा के लिये पहाडों वनो सर्वविदित हैं । साहजी भारतीय राष्ट्र के सेवक व हमदर्द प्रादि की कटाई कराकर क्षेत्रो में प्राने-जाने के पक्के मागों भी थे । भारत सरकार उनका प्रादर करती थी। का निर्माण कराकर जो महान कार्य कराया है वह सराहनीय जिस समय मन 1965 ई० में भारत और पाकिस्तान है, जो मकडों व हजारो वर्षों तक उनकी धवल कीति को की लड़ाई छिडी उस समय देहली में परेड के मैदान प्रकट करता रहेगा। प्रापके द्वारा अनेक संस्थायें स्थापित मे जैन समाज की ओर से श्री साहू शानि प्रसाद जैन का है। अनेक गरीब, अपाहिज व अन्य प्रनाथ पाश्रम सहायता सभापतित्व में एक प्राम सभा हुई। श्री साहू जी ने जैन पा रहे है तथा अनेक विद्यार्थी छात्रवृत्ति प्राप्त कर अपना समाज की प्रोर से भारत के प्रधान मंत्री श्री लालबहादुर जीवन सफल बना रहे हैं एवं भारतीय ज्ञानपीठ के शास्त्री जी को रुपयो की एक थैली मेट की, और साह जी द्वाग जो जैन धर्म प्रचार प्रादि का कार्य हो रहा है वह को अपील पर बहुत-सी जैन समाज की स्त्रियो ने अपने सब प्रापक किए हये बेमिमाल कार्य है। प्राप जैसे उदार अपने जेवर उतार उतार कर भारत के प्रधान मधी को हृदय महामानव मंमार में बिरले ही होते हैं। भेंट किए । मनि श्री देशभूषण जी महाराज ने भारत के साहू जो के निधन से भारत की जैन समाज का सरप्रधान मत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के सिर पर हाथ ताज इस संसार से चला गया जिममे भारत की जैन रखकर उनको पाशीर्वाद दिया। साहू जी भगवान महावीर समाज को बडी भारी क्षति हुई है और उनके चले जाने से, 25सौवा निर्वाण महोत्सव सोसायटी के अध्यक्ष थे। उस उनके स्थान की पूर्ति प्रसंभव है। उनके निधन पर जितना समय उनकी कोशिशो से भारत की भूतपूर्व प्रधान मत्री भी शोक मनाया जाये थोडा है। लेकिन हृदय मे शाति श्रीमती इदिरा गाधी ने भगवान महावीर के निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष मे उपरोक्त सोसायटी व भारत की जैन __ लाने से ही सुख की प्राप्ति होती है। समाज के धार्मिक कार्यों में हर प्रकार की सहायता की। मै सच्चे हृदय से उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता साहजी को जैन धर्म को ऊचा उठाने के प्रति बहुत लगन हुमा श्रीजी से प्रार्थना करता हूँ कि स्वर्गीय की प्रात्मा को रहती थी। उन्होने भगवान महावीर के निर्वाण महोत्सव शाति प्राप्त हो। को सफल बनाने मौर हर प्रकार से जैन धर्म प्रसार के 000 लिये पनेक कार्यों का प्रचार करते हुये एक कार्य यह भी रिटायर्ड प्रोवरसियर किया कि उन्होने भारतवर्ष की जैन समाज से अपील की भू०पू० मंत्री, जैन मित्र मंडल, देहली। कि हर घर में जितने व्यक्ति हो, हर व्यक्ति एक-एक पैसा शिकारपुर (बुलन्दशहर) उ.प्र.
SR No.538031
Book TitleAnekant 1978 Book 31 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1978
Total Pages223
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size12 MB
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