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________________ देवानांप्रिय प्रियवशी मशोकराज कौन था? राज्यों में चोळ, पांड्य सातियपुत्र, केरलपुत्र, ताम्रपर्णी, विद्वानों का ध्यान क्यों नही गया। जहां तक प्रियदर्शी मंतिमोक राज्य गिनाए हैं। अंतिमोक अफगानिस्तान के नन्दिवर्धन का सम्बन्ध है, उसके राज्य का वर्णन ऊपर पास यूनानियों की एक छोटी-सी बस्ती का राजा था। इस किया ही जा चुका है। मंसूर के उत्कीर्ण लेखों के अनुसार, अंतिम्रोक के सामन्त कतिपय अन्य छोटी-छोटी बस्तियो के कुन्तला प्रदेश दन्दों के शासन में था। ये लेख १२वी सदी राजा थे जिनके नाम तुरमय, अन्तकिनि, मक तथा अलिक के है परन्तु इनकी प्रामाणिकता विवादग्रस्त नहीं है (राइस. सुन्दर थे। यह मन कि ये नाम सीरिया, मिश्र, मैसी. कृत मसूर एण्ड कूर्ग इन्शक्रिशन्म, पृ० ३) । कवि मामूलहोनिया, साइरीनी और इपाइरस के शासको के थे ,नितान्त नार ने संगम साहित्य में नन्द राजा द्वारा दक्षिण-विजय भ्रामक है। क्या इन देशो के इतिहास मे भी यह उल्लेख का स्पष्ट उल्लेख किया है। मिला है कि भारत के किसी राजा ने उसके देश मे कल्हण ने राजतरंगिणी में लिखा है कि राजा प्रशोक चिकित्सा, वृक्षारोपण आदि करवाया था? प्रियदर्शी के जैन था । इसने श्रीनगर बसाया था। अनेक बिहार पोर राज्य की जो सीमाएं अभिलेखो के आधार पर निश्चित स्तूप बनवाए थे । राजतरंगिणी एक प्रामाणिक ग्रन्थ है। की गयी है वे उमको सम्पूर्ण भारत का एकछत्र राजा दर्शाती मद्राराक्षम मे राक्षस की ओर से युद्ध करने वाले है। मेगास्थनीज के वर्णन से ज्ञात होता है कि चन्द्रगुप्त राजा का नाम पुष्कराक्ष (मुद्रा० १/२०) था। गज ATK Ke . A मुवनेश्वर के पास उदयगिरि पर्वत पर हाथीगम्फा नामक गहा। इसमे कलिंग के महाराजाधिराज खारवेल को प्रशस्ति है जिसमे नन्द राजा का दो बार उल्लेख किया गया है। (भारतीय पुरातत्त्व विभाग के सौजन्य से) केवल मगध का राजा था और उसके काल में दक्षिण मे तरगिणी में यह नाम उत्पलाक्ष दिया हया है। संस्कृत में मान्ध्र अत्यन्त शक्तिशाली थे। अशोक ने केवल कन्निग पर्यायो के प्रयागको परिपाटी थी। पुष्कर तथा उत्पल दोनो देश जीता था। विन्दुसार ने राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया कमल के अर्थ में प्रयुक्त हगा है। उत्पलाक्ष न ३० वर्ष ३ था। इसका वर्णन बौद्ध, जैन ग्रन्थों या कथामारित्मागर मास काश्मीर में शासन किया था । कल्हण की काल गणना मादि मे कही नहीं मिलता। फिर इतने बड़े तथ्य की पोर पूर्णत. पुराण सदृश है। उसमे कल्हण ने केवल एक यह
SR No.538029
Book TitleAnekant 1976 Book 29 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1976
Total Pages181
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size10 MB
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