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________________ पुस्तक-समीक्षा तीर्थकर वर्धमान-लेखक-मनि श्री विद्यानन्दजी। पाकर्षक उपशीर्षको द्वारा ग्रन्थ की रोचकता में वृद्धि हुई प्रकाशक-श्री वीर-निर्वाण-ग्रन्थ-प्रकाशन-समिति, इन्दौर है । इतिहास एव उपन्यास का सरस समन्वय इसकी पृष्ठ सं०-१००। मूल्य---तीन रुपये। मुख्य विशेषता है, जिससे पाठक इसे एक बार पढ़ना मुनि श्री विद्यानन्द-कृत इस शोधपूर्ण ग्रन्थ में 'इक्ष्वाकु प्रारम्भ करके पूरा पढे बिना नहीं छोड़ता। वंश केशरी,' 'लिच्छवि-जाति-प्रदीप,' 'नाथ-कुल-मुकुट- इस उपयोगी प्रकाशन के लिए लेखक तथा पाटक मणि' प्रातः स्मरणीय तीर्थकर महावीर का ऐतिहासिक बधाई के पात्र है। छपाई, माज-सज्जा आदि की दृष्टि में तथा ज्योतिष शास्त्रीय जीवन-परिचय है । इसके पुस्तक सुरुचिपूर्ण है। अतिरिक्त ऐतिहासिक काल-गणना तथा वैशाली-वैभव भगवान महावीर-माधुनिक सन्दर्भ में- सम्पादकका युक्तियुक्त विवेचन इसकी मुख्य विशेषता है । डा० नरेन्द्र भानावत । प्रकाशक-अ०भा० साधुमार्गी पूज्य मुनिश्री ने इसमे महावीर की जन्म-कुण्डली, वैशाली जैन संघ, समता-भवन, गमपुरिया सडक, बीकानेर । पृष्ट की सरचना तथा महावीर-कालीन भारत की भौगोलिक स०-३५० (सजिल्द) मूल्य--चालीस रुपये। स्थिति का मानचित्र देकर इमे शोधपूर्ण तथा उपयोगी बनाया है। प्रारम्भ मे जीवन्त स्वामी (दीक्षा से पूर्व उपयुक्त ग्रन्थ मे ५० विद्वान लेखको के विद्वत्तापूर्ण लेख सकलित है। इनमे ढाई हजार वर्षो के पश्चात, वर्तभगवान महावीर की गुप्तकालीन मूर्ति) का चित्र पुस्तक की सुन्दरता में वृद्धि करता है । मान युग की ज्वलन्त समस्याग्रो के परिप्रेक्ष्य में भगवान् महावीर के व्यक्तित्व एव मिद्धान्तो का युक्ति-युक्त विवेपं० बाबूलाल शास्त्री द्वारा लिखित विद्वत्तापूर्ण भूमिका चन किया गया है। में प्रस्तुत कृति के सन्दर्भ में वैदिक तथा श्रमण-सस्कृति का समन्वययात्मक चित्रण किया गया है । पुस्तक में जीवन, व्यक्तित्व एव विचार के साथ-साथ राजनैतिक, तथ्यात्मक सामग्री पर्याप्त है । अत शोधार्थी छात्रों तथा सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक साधारण जिज्ञासुमो दोनों के लिए इसकी उपयोगिता स्वय- तथा सास्कृतिक मन्दर्भो मे, प्रस्तुन प्रथ को पाट खण्डो मे सिद्ध है। छपाई-सफाई, कागज तथा साज-सज्जा की। विभाजित किया गया है । नवम खण्ड 'परिचर्चा' मे 'महादृष्टि से पुस्तक सुरुचिपूर्ण है। वीर और माधुनिक सन्दर्भ' की दृष्टि से प्रस्तुत चार-पांच वैशाली के राजकुमार-वर्धमान महावीर -- लेखक प्रश्नो पर दस-ग्यारह विद्वानो के विचार सकलित है। डा. नेमिचन्द्र जैन । प्रकाशक-उपर्युक्त । पृष्ठ स०- अधिकाश लेखों का प्रतिपाद्य निष्कर्ष है-वर्तमान २४८. मूल्य-दो रुपये। बहु-आयामी युग मे मनुष्य ने अनेक वैज्ञानिक एवं भौतिक प्रसिद्ध भाषाविद् एव चिन्तक डा० नेमिचन्द्र द्वारा सुविधाये उपलब्ध की है और वह निरन्तर प्रकृति पर रचित इस पुस्तक में सरल तथा प्रवाहपूर्ण भाषा मे भग- विजय प्राप्त करता जा रहा है । विज्ञान मनुष्य को विद्यावान महावीर के प्रेरक जीवन का हृदयग्राही चित्रण किया धर या इजीनियर बना सकता है, परमात्मा नहीं । जीवन गया है। के मूल तत्त्वं। या आध्यात्मिक चेतना की दृष्टि से महावीर पुस्तक चार खण्डो में विभाजित है--पूर्वाभास, जीवन, या अन्य वीतराग मनीषियो ने जो दर्शन दिया, वह अतुप्रमग तथा देशना । चारो खण्डी में प्रस्तुत सामग्री प्रात्म- लनीय है। क्षण-स्थायी सन्दर्भो मे से उसको तुलना इष्ट बोघ की ओर पाठक को प्रेरित करती है । छोटे-छोटे नही है।
SR No.538028
Book TitleAnekant 1975 Book 28 Ank Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1975
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size15 MB
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