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________________ महावीर तथा नारी २०३ सम्मान रहा है तथा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में प्राचार्य विनोबा भावे ने स्त्री शक्ति के सन्दर्भ में कहा : उनका बहुमूल्य योगदान रहा है। इसका गांधी जी पर "मैं मानता है कि जब तक शकराचार्य के समान प्रभाव पड़ा और इसी कारण उन्होंने अपने सब कार्यों में प्रखर वैराग्य-सम्पन्न स्त्री पैदा नहीं होती; तब तक स्त्रियो जैसे प्राश्रमों व भान्दोलनों में, नारी जाति से पूर्ण सहयोग का उद्धार कृष्ण, बुद्ध, गाधी जैसे पुरुष भी नहीं कर सकते लिया । उन पर प्रायिका-संघ का अपूर्व प्रभाव था। इस हैं । कुछ सीमा तक मदद की जा सकती है। किन्तु स्त्रियों लिए सब राष्ट्रीय प्रवृत्तियों में उन्होंने नारियों का सहयोग का उद्धार स्त्रियों से ही होने वाला है; वैराग्य, शील और प्राप्त किया था। आज की राष्ट्रीय चेतना भी नारी-चेतना ज्ञान का प्रचार करने वाली बहनें, जिनसे शास्त्र बन सकता बनी है। महावीर की सर्वोदय-क्रान्ति को गांधी जी ने है, क्यो न निकले, यह मेरी समझ में नहीं पाता। अहिंसा-पालन और नारी-जाति का उत्थान करके अपने में समग्रतया उतार लिया था। "अगर मैं स्त्री होता तो न जाने कितनी बगावत उनका अटूट विश्वास था कि स्त्रियों में अहिंसा की। करता। मैं तो चाहता है कि स्त्रियों की तरफ से बगावत विशेष शक्ति रहती है और इसीलिए सर्वोतम कान्ति उन्ही । हो। लेकिन बगावत तो वह स्त्री करेगी जो वैराग्य की के द्वारा सिद्ध होगी। मृति होगी। वैराग्य-वृत्ति प्रगट होगी तभी तो मातृत्व सिद्ध होगा। स्त्रियाँ स्वतंत्रता चाहती है तो उन्हे वासना विनोबा जी के (पवनार आश्रम से व्यक्त) निम्न के बहाव में बहना नहीं चाहिए।" भाव हैं : महाबीर ने दामी चन्दना को प्रधान प्रापिका के रूप "जैनधर्म के प्राचार्य श्री महावीर स्वामी का यह में दीक्षित करके नारी को क्रान्ति की प्रेरणा दी। महा२५००वां निर्वाण-वर्ष है । महावीर स्वामी पहले धर्माचार्य प्रकृति को उसकी महाशक्ति का ज्ञान कराया तथा उसकी है, जिन्होने समाज-प्रवाह के विरुद्ध जाकर महिलाओं को वैराग्य-वत्ति को सम्यक् धर्म का उपदेश देकर सम्पुष्ट अपने धर्म-सम्प्रदाय में आदर का स्थान दिया। यही, किया। नारी मात्र को त्रिशला का सम्मान दिया। कारण है कि आज देश में हजारों जैन साध्वियां अहिंसा इसे देवी, सुखद तथा विचित्र सयोग कहे या प्रकृति संयम, सहिष्णुता और अपरिग्रह का व्रत लेकर हिम्मत के की सत्यता का उद्घोष कहे कि महावीर के इम २५००वे साथ धर्मोपदेश देती हुई समाज में विचरती है।" निर्वाण-महोत्सव-वर्ष को 'संयुक्त-राष्ट्र सव' ने 'नारी-वर्ष' -मैत्री, जून १९७५ पृ. ४०४ घोषित करके भगवान महावीर को उपयुक्त श्रद्धाञ्जलि महर्षि रमण ने भी कहा था : अपित की है। "पति के लिए चरित्र, संतान के लिए ममता, समाज के लिए शील, विश्व के लिए दया तथा जीवमात्र के लिए करुणा संजोने वाली महाप्रकृति का नाम ही नारी है।" नई दिल्ली-१ ८, जनपथ लेन, 000 महावीर-वाणी जो परिग्रह में फंसे हुए हैं. वे वर को ही बढ़ाते हैं। जिसका चित्त विषयों से विरक्त है, वह योगी ही प्रात्मा को जान सकता है। जो मात्मा को जानता है, वह सब शास्त्रों को जानता है। 000
SR No.538028
Book TitleAnekant 1975 Book 28 Ank Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1975
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size15 MB
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