SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारतीय पुरातत्व तथा कला में भगवान महावीर १ जैनों के तीन मंदिर है, जिनमे २४ तीर्थङ्करों की प्रतिमायें मुद्रा में दिखाया गया है । मूर्ति का प्राधार ७२४ ६९X भी अंकित है। ___३. से. मी. है। बंगाल में भी जैनधर्म से सम्बन्धित कलात्मक कृतियाँ केन्द्रीय संग्रहालय, इ-दौर (म. प्र.) में संग्रहीत उपलब्ध होती है। बगाल के बाकुड़ा जिले के पाकबेडरा महावीर की प्रतिमायें लेखयुक्त है । डा. वासुदेव उपानामक स्थान पर जैन कलाके अनेक अवशेष है। यहाँ के देवा- ध्याय के 'प्राचीन भारतीय मूर्ति-विज्ञान' नामक ग्रथ के लयो मे अन्यत्र से लायी गयी प्रतिमायें भी सगृहीत हैं, जिनमें चित्रफलक ८२ में प्रादिनाथ एव महावीर की प्रतिमा का एक पंचतीर्थी परिकर, तोरण, भामण्डलादि प्रातिहार्ययुक्त युग्म चित्र दिया गया है। इस युग्म प्रतिमा में प्रथम है। दूसरी प्रतिमा के परिकर मे प्रष्टग्रह प्रतिमाये है। प्राकृति ऋषभनाथ की है। दाहिनी ओर महावीर की प्राचीन भारतीय मूर्तिकला के क्षेत्र में मालवभूमि का प्राकृति है। इस प्रकार, इन दो प्राकृतियों (प्रथम एवं भी विशिष्ट महत्त्व है। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का चौबीसवें तीर्थङ्कर) से चौबीस तीर्थ डूरो की कल्पना की परातत्व-संग्रहालय मालवा व उज्जयिनी के अवशेषो से जा सकती है। प्रतिमा-पीठ पर प्रादिनाथ का प्रतीक सम्पन्न है। संग्रहालय में अनेक जैन तीर्थङ्करों की प्रतिमायें वृषभ तथा महावीर का सिंह है। दोनों नग्न हैं। है। लगभग १० प्रतिमायें सर्वतोभद्र महावीर की है, जिन उपर्युक्त वर्णन से ज्ञात होता है कि सम्पूर्ण भारतवर्ष पर पारदर्शी वस्त्र है, अत. वे श्वेताम्बर आम्नाय की है। में भहिंसा के पुजारी भगवान् महावीर की मूर्तियाँ एवं सभी प्रतिमानो मे महावीर पद्मासन मे ध्यानमुद्रा में है। देवालय उपलब्ध होते है । मूर्तिकला विज्ञान तथा भारतीय प्राप्तिस्थल उज्जैन की नयापुरा बस्ती है, जहां आज भी इतिहास की दृष्टि से अभी काफी काम करना शेष है। अनेक जैन मदिर विद्यमान है। इस दिशा मे जो प्रगति हो रही है, वह अत्यन्त मन्द है। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के पुरातत्त्व-संग्रहालय राज्य सरकारों तथा शिक्षा-प्रतिष्ठानों को भी इस क्षेत्र में में सगहीत महावीर की एक अन्य प्रतिमा को कायोत्सर्ग अग्रसर होना चाहिए। 00 [पृ० ८६ का शेषांश] विद्यालय में डा० कैलाशचन्द्र जैन और श्री दलाल है। इन्दौर का दायित्व सतना के श्री नीरज जैन भी मूर्तिकला आदि के अच्छे जहाँ तक मध्यप्रदेश के जैन समाज का प्रश्न है, मैं साली इन्दौर म्युजियम के डायरेक्टर श्री गर्ग और देख रहा हूँ कि इदौर की जैन समाज बहुत ही सक्रिय है। इसी तरह अन्य संग्रहालयों के अधिकारियों का तथा यहां प्रच्छे कार्यकर्ता है विटानी दाम विभाग के अध्यक्ष एव विद्वानों का सहयोग प्राप्त की जैन समाज से बहुत प्राशा की जा सकती है। निर्वाण किया जा सकता है। महोत्सव के उपलक्ष्य में वहां से लाखों रुपये खर्च भी यह पोर भी सौभाग्य की बात है कि मध्यप्रदेश के होंगे। उसमें इस जरूरी और महत्वपूर्ण कार्य का भी मख्यमन्त्री श्री प्रकाशचन्द सेठी भी जैन हैं तथा अन्य कई समावेश कर लिया जाय । जैन इतिहास की सामग्री की उच्च पदों पर भी जैन हैं। यदि इस समय निर्वाण खोज, संग्रह एवं लेखों की नकल के साथ-साथ दिगो महोत्सव के प्रसंग से खोज, संग्रह एवं संरक्षण और ग्रंथों में जो भी इस प्रदेश के इतिहास की सामग्री है. से इतिहास लेखन का काम हाथ में लिया जाय तो बहुत । भी एकत्र कर प्रकाशित कर दिया जाय । प्राशा है जैन सरलता से अच्छे रूप में प्रागे बढ़ सकेगा। समाज इस मोर ठोस कदम उठायेगा। 00
SR No.538027
Book TitleAnekant 1974 Book 27 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1974
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy