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वर्ष २६ : किरण २
द्वैमासिक
मई-जून १६७३
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अनेकान्त
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सप्त मुखधारी चन्द्रप्रभ तीर्थकर । मुनिराज श्री विद्यानन्द जी महाराज का अभिमत है कि तीर्थकर के ये सप्तमुख सप्तभंगी के प्रतीक है। यह अभूतपूर्व मूति
अलबर्ट एण्ड विक्टोरिया म्यूजियम लंदन में सुरक्षित है।
समन्तभद्राश्रम (वीर सेवा मन्दिर) का मुख-पत्र