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________________ R.N. 0594/04 वीर-सेवा-मन्दिर के उपयोगी प्रकाशन पुरातन जनवाक्य-सूची : प्राकृत के प्राचीन ४६ मूल-प्रन्यो की पद्यानुक्रमणी, जिसके साथ ४८ टीकादि ग्रन्यो मे उद्धृत दुमरे पद्यो को भी अनुक्रमणी लगी हुई है। मब मिलाकर २५३५३ पद्य-वाक्यो का मूवी । सपादक मुख्तार श्री जुगलकिशोर जो की गवेषणापूर्ण महत्त्व की ७० पृष्ठ की प्रस्तावना से प्रलकृत, डा० कालीदास नाग, एम. ए., डी. लिट के प्राक्कथन (Foreword) और डा० ए. एन. उपाध्ये एम. ए., डी. लिट. की भूमिका (Introduction) से भूषित है, शोध-खोज के विद्वानोके लिए अतीव उपयोगी, बड़ा साइज, सजिल्द । १५.०० प्राप्तपरीक्षा : श्री विद्यानन्दाचार्य की म्वोपज्ञ सटीक अपूर्व कृति,प्राप्तो की परीक्षा द्वारा ईश्वर-विषयक सुन्दर विवेचन को लिए हए, न्यायाचार्य पं दरबारीलालजी के हिन्दी अनुवाद से युक्त, सजिल्द । ८.०० स्वयम्भस्तोत्र : ममन्तभद्रभारती का अपूर्व ग्रन्थ, मुख्तार श्री जुगलकिशोरजी के हिन्दी अनुवाद, तथा महत्त्व की गवेषणापूर्ण प्रस्तावना से सुशोभित । २.०० स्तुतिविद्या : स्वामी ममन्तभद्र की अनोखी कृति, पापो के जीतने की कला, सटीक, सानुवाद और श्री जुगलकिशोर मुख्तार की महत्त्व की प्रस्तावनादि से अलकृत सुन्दर जिल्द-सहित । १-५० अध्यात्मकमलमार्तण्ड : पचाध्यायीकार कवि गजमल की सुन्दर आध्यात्मिक रचना, हिन्दी-अनुवाद-सहित १-५० पुक्त्यनशासन : तत्त्वज्ञान से परिपूर्ण, समन्तभद्र की असाधारण कृति, जिसका अभी तक हिन्दी अनुवाद नही हप्रा था । मुख्तारश्री के हिन्दी अनुवाद और प्रस्तावनादि से अलकृत, सजिल्द । ... श्रीपुरपाश्र्वनाथस्तोत्र : आचार्य विद्यानन्द रचित, महत्त्व की स्तुति, हिन्दी अनुवादादि सहित । शासनचतुस्त्रिशिका : (तीर्थपरिचय) मुनि मदनकीति की १३वी शताब्दी की रचना, हिन्दी-अनुवाद महित समीचीन धर्मशास्त्र : स्वामी समन्तभद्र का गृहस्थाचार-विषयक अत्युत्तम प्राचीन ग्रन्थ, मुख्तार श्रीजुगलकिशोर __ जी के विवेचनात्मक हिन्दी भाष्य और गवेषणात्मक प्रस्तावना से युक्त, सजिल्द । ३-०० जैनप्रन्थ-प्रशस्ति संग्रह भा. १: सस्कृत और प्राकृत के १७१ अप्रकाशित ग्रन्थों की प्रशस्तियो का मगलाचरण महित अपूर्व संग्रह, उपयोगी ११ परिशिष्टों मोर पं० परमानन्द शास्त्रो की इतिहास-विषयक साहित्य परिचयात्मक प्रस्तावना से अलंकृत, सजिल्द । ... समाधितन्त्र और इष्टोपदेश : प्रध्यात्मकृति परमानन्द शास्त्री की हिन्दी टीका सहित ४.०० भनित्यभावना : प्रा० पद्मनन्दीकी महत्त्वकी रचना, मुख्तार श्री के हिन्दी पद्यानुवाद और भावार्थ सहित २५ तत्त्वार्थसूत्र : (प्रभाचन्द्रीय)-मुख्तार श्री के हिन्दी अनुवाद तथा व्याख्या में युक्त। श्रवणबलगोल और दक्षिण के अन्य जैन तीर्थ । १-२५ महावीर का सर्योदय तीर्थ, समन्तभद्र विचार-दीपिका, महावीर पूजा प्रत्येक का मूल्य अध्यात्मरहस्य : प. प्राशाधर की सुन्दर कृति मुख्तार जी के हिन्दा अनुवाद सहित । जैनग्रन्थ-प्रशस्ति संग्रह भा० २ . अपभ्रश के १२२ अप्रकाशित ग्रन्थोको प्रशस्तियो का महत्त्वपूर्ण सग्रह। पचपन ग्रन्थ कागे के ऐतिहामिक ग्रंथ-परिचय और परिगिष्टो महित। सं.पं० परमानन्द शास्त्री। मजिल्द। १२-०० न्याय-दीपिका : प्रा अभिनव धर्मभूपण की कृति का प्रो० डा० दरबारीलालजी न्यायाचार्य द्वारा स० अनु०। ७.०० जन माहित्य और इतिहास पर विशव प्रकाश : पष्ट मख्या ७४० सजिल्द ५-०० कसायपाहडसुत्त : मूल ग्रन्थ की रचना प्राज मे दो हजार वर्ष पूर्व श्री गुणधराचार्य ने की, जिस पर श्री यतिवृषभाचार्य ने पन्द्रह सौ वर्ष पूर्व छह हजार श्लोक प्रमाण चूणिसूत्र लिखे । सम्पादक प हीरालालजी सिद्धान्त शास्त्री, उपयोगी परिशिष्टो और हिन्दो अनुवाद के साथ बड़े साइज के १००० से भी अधिक पृष्ठों में। पुष्ट कागज और कपडे की पक्की जिल्द । ... २०.०० Reality : प्रा० पूज्यपाद की सर्वार्थ सिद्धि का अग्रेजी में पनुवाद बड़े प्राकार के ३०० प. पक्की जिल्द जैन निबन्ध-रत्नावली : श्री मिलापचन्द्र तथा रतनलाल कटारिया ५.०० प्रकाशक-वीरसेवा मन्दिर के लिए, रूपवाणी प्रिटिग हाउस, दरियागज, दिल्ली से मुद्रित । و ___ २५ ६.००
SR No.538024
Book TitleAnekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1971
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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