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कुवलयमालाकहा में उल्लिखित राजा अवन्ति
प्रो० प्रेम सुमन जैन राजस्थान मे रचित ग्रन्थों के ऐतिहासिक महत्त्व की समस्या पर विचार किया जा सकता है। परम्परा मे उद्योतन सूरि द्वारा ७७६ ई० में जालोर मे कुवलयमाला मे उद्योतन ने अवन्ति नरेश के सम्बन्ध रचित कुवलयमालाकहा प्राकृत भाषा का एक महत्वपूर्ण में तीन प्रमुख सन्दर्भ दिये है। प्रथम संदर्भ में उज्जयिनी ग्रन्थ है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से भी उपयोगी है । यद्यपि के राजा की सेवा में कोई क्षत्रिय वंश उत्पन्न क्षेत्र भटयह एक कथा ग्रन्थ है किन्तु प्रसंगवश उद्योतन ने कई नाम का एक ठाकुर रहता था। बाद मे उसके पुत्र वीर. ऐतिहासिक तथ्य उद्घाटित किये है, जिनसे राजस्थान एवं भट एवं उसके पुत्र शक्ति भट ने उज्जयिनी के राजा की मालवा के इतिहास पर नवीन प्रकाश पड़ता है। सेवा की, शक्तिभट क्रोधी स्वभाव का था। एक बार
कुवलयमाला मे हाल, देवगुप्त, प्रभजन, दृढ़वर्मन, राज्य सभा में शक्तिभट प्राया। उसने राजा प्रवन्तिजयवर्मन, महेन्द्र, भृगु, अवन्तिवर्द्धन, श्रीवत्स, विजयनरा- वर्धन को प्रणाम कर अपने स्थान की पोर देखा, जहाँ धिय, प्रवत्ति, चन्द्र गुप्त, वैरिगुप्त, हरिगुप्त, तोरमाण, कोई भूल से पुलिदराज पुत्र बैठ गया था। शक्तिभट ने श्रीवासराज रणस्तिन मादि राजामो के उल्लेख है, उसे न केवल अपने प्रासन से उठा दिया प्रपितु इसमे जिनमे अधिकाश ऐतिहासिक है। प्रस्तुत निबन्ध में अपना अपमान समझकर उसकी हत्या भी कर दी और प्रवन्ति राजा के सम्बन्ध में विचार किया गया है। वहां से भाग गया।' अवन्तिवढन भवन्ति
इस प्रसग में 'राहणो अवन्तिबद्धणस्स कम-ईसि-णमो. उद्योतन ने कुवलयमाला मे विनीता के राजा दृढ- कारों का उल्लेख अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसका अर्थ हुमा वर्मन और मालव नरेश (?) के बीच युद्ध होने का सकेत कि उज्जयिनी का राजा भवन्तिवर्धन था, जिसकी सभा दिया है, जिसमे मालव नरेश का पांचवर्षीय पुत्र महेन्द्र मे वंश परम्परा से मेवक ठाकुरो का अधिक सम्मान था अपने पिता के हार जाने के कारण दृढ़वर्मन के समक्ष तथा पुलिंद राजकुमार भी वहाँ उपस्थित रहते थे। यह उपस्थित किया जाता है।' कुमार महेन्द्र के कथनानुसार अवन्तिवर्धन राजा कौन था, अवन्ति के राजनैतिक इतिमालव नरेश हरिपुरन्दर, विक्रम जैसा प्रतापी था। हास की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है ? उत्तम वंश और कुल वाला था।' इससे मात होता है उद्योतन ने एक दूसरे सन्दर्भ मे उज्जयिनी के राजा कि उस समय मालव पर किसी प्रतापी राजा का शासन का नाम श्रीवत्स कहा है, जो पुरन्दर के समान सत्य और था। वह कौन था, इल की पहचान विचारणीय है। वीर्यशाली था। उसका पुत्र श्रीवर्धन था। सम्भव है पाठवी शदी मे मालव (प्रवन्ति) की राजनैतिक स्थिरता उपयुक्त प्रसग के प्रवन्तिवर्धन एव इस श्रीवर्धन में कोई अनिश्चित-सी बनी रही। अतः उद्योतन के समकालीन वशानुगत सम्बन्ध रहा है। उज्जयिनी मथवा मालवा के वहाँ किसका शासन था यह निश्चित करने में थोडी कठि- के साथ अवन्तिवर्धन राजा का सम्बन्ध तत्कालीन नाई है। किन्तू उद्योतन के उल्लेखों के अनुसार ही इस ४. तमो गणो वतिazणय ग. * राजस्थान इतिहास कांग्रेस के चतुर्थ अधिवेशन, पहनो वच्छत्थलाभोए पुलिदो इमिणा रायउत्तो। बीकानेर में पठित निबन्ध ।
-वही, ५०-३१ १. देवस्स चेव प्राणाए तइया मालव णरिद विजयस्थ ५. उज्जयणीपुरी रम्मा (१२४.२८) 'तम्मि य गयो।
-कु०, ६.२३ पुरवरीए सिरिवच्छो णाम पुरन्दर सम-सत्त-वीरिय२. तायस्स हरि पुरदर-विक्कमस्स... -- वही, १०-२६
विहवो । तस्स य पुत्तो सिरिवर्तणो णाम । ३. महावंश कुल-प्पसूया रायउत्सा -वही, ११-५
-वही, १२५-३