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________________ २८८ अनेकान्त (पृ० २८४ का शेषांस) संस्कृत कालेज के छात्रावास की मोर से श्री ज्ञानचंद्र वाराणसी चले गये और वहाँ स्याद्वाद महाविद्यालय में ध्रुवकर, शोध छात्रों और महिलाओं की ओर से सुधी अध्ययन करते हुए बगाल संस्कृत एसोसियेशन की न्यायशान्ति जैन, राजस्थान विश्व विद्यालय के विज्ञान विभाग तीर्थ की परीक्षा पास की। के डा. श्री गोपीचंद पाटनी, इसके अतिरिक्त श्री अध्ययन समाप्त करने के पश्चात् माप पुनः अपने सुधाकर शास्त्री, कपूरचंद पाटनी, केवलचंद टोलिया, गांव लौट आये और जैन विद्यालय कुचामन के प्रधानाश्री रूपचंद सौगानी, श्री बासूलाल छावडा, श्री गुलाबचंद दर्शनाचार्य, श्री केशरलाल शास्त्री, बुद्धि प्रकाश भास्कर, ध्यापक पद पर नियुक्त हुए । सन् १९३१ में माप दि. जैन संस्कृत कालेज के प्रधानाचार्य बन कर जयपुर पाये श्री सुभद्र कुमार पाटनी, बाबा गोविन्ददास, मास्टर । और ३८ वर्ष तक इस महत्वपूर्ण पद पर रहकर आपने बद्रीनारायण, एवं प्रेमचंद रांबंका आदि के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं। सभा की संयोजना श्री ताराचन्द्र साह संस्कृत शिक्षा जगत की महान सेवा की। शिक्षा जगत में महत्वपूर्ण कार्यों के लिए आपको सन् १९६७ मे राष्ट्रपति ने की। सभा में एक शोक प्रस्ताव पारित हुमा और सभी ने पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पंडित साहब पत्रकार लेखक एव वक्ता सभी थे। पाप पहले जैन बन्धु और खडे होकर पंडित जी की आत्मा के लिए शान्ति लाभ की कामना की। गत २० वर्षो से वीर वाणी पत्रिका के सम्पादक रहे । पंडित चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ का जीवन परिचय : अापने जैन दर्शन सार षोडसकारण भावना, महंत प्रवचन, पंडित चैनसुखदास जी का जन्म जयपुर जिला के प्रवचन प्रकाशन आदि बहुमूल्य कृतिया साहित्य जगत को भेट की। अंतर्गत भादवा ग्राम मे माघ कृण्ण १५ स० १९५६ : २२ जनवरी १८९८ : को एक जैन परिवार मे हुआ । जब पंडित जी एक सेवा भावी विद्वान थे। नगर एव तीन वर्ष के ही थे कि पक्षाघात की बीमारी से एक पर देश के विद्यार्थी वर्ग उनसे बराबर लाभ लिया करते थे। से लाचार हो गये । गाव में ही प्रारम्भिक शिक्षा पश्चात् आपके निधन से एक ऐसी क्षति हुई है जिसकी निकट संस्कृत प्राकृत की उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भविष्य मे पूर्ति होना संभव नहीं है ।
SR No.538021
Book TitleAnekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
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