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________________ [टा० पेज २ कालम दो का शेपाप] इस परम्परा को प्रागे भी चलाया जावेगा। अन्त मे मा० राज्यपाल ने अपने भाषण में कहा कि पार- उन्होने रा०व० सेठ राजकुमारसिंह जी को इस अवसर पर माथिक सस्थानों के स्वर्ण जयन्ती समारोह का अवसर सम्मिलित होने का अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया। अनोखा एवं महत्वपूर्ण है। आपने कहा कि प्रादर्श कार्य रा० ब० सेठ राजकुमारसिंह जी ने पारमाधिक सभी धनिको के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। धनिक लोगो मस्थानो के ट्रस्ट एव प्र. का. क. के अध्यक्ष के नाते को अपने को सम्पत्ति का सरक्षक समझकर सम्पत्ति का इस सुप्रवसर पर सस्था के समस्त कर्मचारी गणों को १५ सदुपयोग जरूरतमद व्यक्तियो की आवश्यकतामो को दिन का अतिरिक्त वेतन देने की उदार घोषणा की। पूर्ति में करना चाहिए। उन्होने सेठ राजकुमार सिंह जी के फिर मस्थानो के उपाध्यक्ष श्री महाराज बहादुरसिह भापण से निम्न प्रश पढ़कर सुनाया जी ने आगन्तुक महिलामों एवं सज्जनों का हृदय से "धर्म ने जा एक और मनुष्य के लिए प्राध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया वहां दूसरी भोर लोक अन्त में छात्राओं द्वारा जन, गण, मन का गान हुआ कल्याण की भावना को ध्यान में रखकर जीवन मे दान व सभा की कार्यवाही समाप्त हई। इस अवसर पर मस्मरण विशेपाक, स्वागतभाषण एवं संक्षिप्त विवरण एव अपरिग्रह के महत्व का प्रतिपादन भी किया है। पापने पत्रिका व मानपत्र भी वितरित किये गये। ग्राशा व्यक्त की कि स्व. सेठ सा० के परिवार द्वारा -नेमिचन्द्र जैन सं० मंत्री वीर-सेवा-मन्दिर और "अनेकान्त" के सहायक १०००) श्री मिश्रीलाल जी धर्मचन्द जी जैन, कलकत्ता] १५०) श्री जगमोहन जी सरावगी, कलकत्ता १०००) श्री देवेन्द्र कुमार जैन, ट्रस्ट, १५०) , कस्तूरचन्द जी मानन्दीलाल जी कलकत्ता श्री साहु शीतलप्रसाद जी, कलकत्ता १५०) , कन्हैयालाल जी सीताराम, कलकत्ता ५००) श्री रामजीवन संगदगी एण्ड सस, कलकत्ता १५०) , पं० बाबूलाल जी जैन, कलकत्ता ५०.) श्री गजराज जी सरावगी, कलकत्ता १५०) , मालीराम जी सरावगी, कलकत्ता ५००) श्री नथमल जी सेठी, कलकत्ता १५०) , प्रतापमल जी मदनलाल पांड्या, कलकता ५००) श्री वैजनाथ जी धर्मचन्द जी, कलकत्ता १५०) , भागचन्द जी पाटनी, कलकत्ता ५००) श्री रतनलाल जी झांझरी, कलकत्ता १५०) , शिखरचन्द जी सरावगी, कलकत्ता २५१) श्री रा० बा० हरख बन्द जी जैन, रांची १५०) , सुरेन्द्रनाथ जी नरेन्द्रनाथ जी कलकत्ता २५१) श्री अमरर.न्द जी जैन (पहाड्या), कलकत्ता १०१) , मारवाड़ी दि० जैन समाज, व्यावर २५१) श्री स० रि० धन्यकुमार जी जैन, कटनी १०१) , विगम्बर जैन समाज, केकड़ी २५१) श्री सेठ सोहनलाल जी जैन, १०१) , सेठ चन्दूलाल कस्तूरचन्दजी, बम्बई नं०२ मैसस मुन्नालाल द्वारकादास, कलकत्ता १०१) , लाला शान्तिलाल कागजी, दरियागंज बिल्ली २५१) श्री लाला जयप्रकाश जी जैन १०१) , सेठ भंवरीलाल जी बाकलीवाल, इम्फाल स्वस्तिक मेटल धस, जगाधरी १०१) , शान्तिप्रसाद जी जैन, जैन बुक एजेन्सी, २५०) श्री मोतीलाल हीराचन्द गांधी, उस्मानाबाद नई दिल्ली २५०) श्री बन्शीवर जी जुगलकिशोर जी, कलकत्ता १०१) , सेठ जगन्मायगी पाणया झूमरीतलया २५०) श्री जुगमन्दिरदास जी जैन, कलकत्ता १०१) , सेठ-भगवानदास शोभाराम जी सागर २५०) श्री सिंघई कुन्दनलाल जी, कटनी (म.प्र.) २५०) श्री महावीरप्रसाद जी अग्रवाल. कलकत्ता १०१) , बाबू नृपेन्द्रकुमार जी जैन, कलकत्ता २५०) श्री बी. पार० सी० जन, कलकत्ता १००) बद्रीप्रसाद जी प्रात्माराम जी, पटना २५०) श्री रामस्वरूप जी नेमिचन्द्र जी, कलकत्ता १००) , रूपचन्दजी जैन, कलकत्ता १५०) श्री बजरगलाल जी चन्द्र कुमार जी, कलकत्ता १००) , जैन रत्न सेठ गुलाबचन्द जी टोंग्या १५०) श्री चम्पालाल जी सरावगी, कलकत्ता इन्दौर
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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