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________________ अनेकान्त के उन्नीसवें वर्ष की विषय-सूची नाहटा ॥ मान तपस्वी गुणिजनानुरागी-रतनलाल ६४ मध्य भारत का जन पुरातस्व-परमानन्द कटारिया २१ शास्त्री ४५ तलघर में प्राप्त १६० प्रतिमाएँ-श्री प्रगरचन्द महाकवि रइधकृत सावयचरिउ-स. राजा राम जैन ४६ तिरुकुरल (तमिलवेद) : एक जैन रचना-- ६६ मुख्तार श्री जुगलकिशोर जी का ९०वा मुनि श्री नगराज २४६ जन्म-जयन्ती उत्सव-परमानन्द शास्त्री १२३ ४, तीन दिन का प्रातिथ्य-डा. नेमिचन्द शास्त्री ४५ ६७ मूक जन सेवक बाबू बी-प्रमुखाल प्रेमी ३१ ४८ दिल्ली शासकों के समय पर नया प्रकाश- ६८ मूक सेवक-प्रो. मागचन्द जैन .१६ हीरालाल सिद्धान्त शास्त्री ६६ मेवाड़ के पुरग्राम की एक प्रशस्ति-रामवल्लभ ४६ द्रव्य संग्रह के कर्ता और टीकाकार के समय पर सोमानी विचार-परमानन्द जैन शास्त्री ७० राजघाट की जैन प्रतिमाएँ-नीरज जैन ४६ ५० देश और समाज के गौरव-डा. कस्तूरचन्द ७१ राजस्थान का जैन पुरातत्त्व--डा. कैलाशचन्द्र कासलीवाल ५१ दो मंस्मरण-स्वतंत्र जन ७२ रामचरित का एक तुलनात्मक अध्ययन५२ धर्मचक्र सम्बन्धी जैन परम्परा-डा. ज्योति मुनि श्री विद्यानन्द जी प्रसाद जैन १३४ ५३ धर्म और विज्ञान का सम्बन्ध-गोपीलाल ७३ वयाना जैन समाज को बाबू जी का योगदान'अमर' १२२ कपूरचन्द नरपत्येला ५४ धर्म प्रेमी बा. छोटेलाल जी-विशनचन्द जैन १९७ ७४ विचारवान एक सहृदय व्यक्ति (एक मंस्मरण) ५५ धर्म और संस्कृति के अनन्य प्रेमी-१० के. -पन्नालाल साहित्यचार्य १८८ भुजबली शास्त्री ७५ विदर्भ के दो हिन्दी काव्य-डा० विद्याधर जोहरापुरकर ५६ धुवेला मंग्रहालय के जैन मूति-लेख-बालचन्द ७६ विनम्र सिद्धांजलि-कपूरचन्द वरैया एम. ए, २४ ७७ वीरनन्दी और उनका चन्द्रप्रभ चरित्र५७ नाम बड़े दर्शन सुखकारी-अमरचन्द जैन १७ अमृतलाल शास्त्री ५८ निर्वाणकाण्ड की निम्न गाथा पर विचार ७८ वे क्या नही थे-श्री नीरज जैन १० दीपचन्द पाण्डया ७६ वे महान् थे-प्रकाश हितपी शाo ५६ पुरानी यादें-डा. गोकुलचन्द जैन ८० व्यक्तित्व के धनी-यशपाल जैन -६० प्राकृत वैयाकरणों की पाश्चात्य शाखा का ८१ वृषभदेव तथा शिव सम्बन्धी प्राच्य मान्यताएं.. विहंगावलोकन-डा. सत्यरंग्न बनर्जी .१७५ डा० राजकुमार जैन ६१ बंगाल का गुप्तकालीन जैन ताम्रशासन-स्व., ८२ शान्तिनाथ फागु-कुन्दन लाल जैन एम. ए..२८२ बाबू छोटेलाल जैन ८३ शिक्षा का उद्देश्य प्राचार्य तुलसी २०७ ६२ बुद्धघोष और स्याद्वाद-डा भागचन्द जैन ५४ श्रद्धाञ्जलि-प्रेमचन्द जैन एम. ए. पी-एच. डी. २९२ ८५ श्रद्धाजलि (कविता)-अनूपचन्द जैन न्यायतीर्ष ४ ६३ बौद्ध साहित्य में जैनधर्म-प्रो. डा० भाग- ८६ श्रमण संस्कृति के उद्भावक ऋषभदेवचन्द जैन एम. ए. पी. एच. डी. परमानन्द शास्त्री २७३ १२ २६ २६२
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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