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________________ शोक सभा सेवा मन्दिर के अनुसंधान कार्य से उनकी बहुत रुचि थी उनकी सेवानों का क्षेत्र केवल वीर सेवा मन्दिर तक सीमित वीर सेवा मन्दर भवन २१ दरियागंज में ७॥ बजे नहीं था बल्कि उन्होंने पमुचे जैन समाज की लगन एवं रात्रि को बाबू जयभगवान जी एडवोकेट पानीपत के प्राकरिमक नि:स्वार्थ भाव से सेवा की थी। वे एक उच्च कोटि के निधन पर शोक सभा की गई, जिसमें वीर संवा मन्दिर की विद्वान वक्रा और लेखक भी थे। सेवानों के साथ सामाजिक सेवात्रों का उल्लेख करते हुए उनके निधन से वीर संवामन्दिर की जो क्षति हुई है उनके उदार स्वभाव की महती प्रशंसा की गई। और उन्हें का महता प्रशमा का गई। और उन्हें उपकी पूर्ति होना संभव नहीं। श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सबने खड़े होकर नो वार प्रभु से प्रार्थना है कि उनके जीवन के प्रादर्श और उनकी नमस्कार मंत्र का जाप्य किया। तथा निम्न प्रस्ताव पारित सेवाएँ जैन समाज तथा वीर सेवामन्दिर को सदा अनुप्राणित हश्रा। करती रहेंगी। प्रस्ताव यह सभा दिवंगत प्राप्मा को परलोक में सुख-शान्ति वीर संवा मन्दिर के सदस्यों की यह सभा बाबू जय- की हार्दिक कामना करती हुई उनके कुटुम्बी जनों के भगवान जी पडवोकेट पानीपत के प्राकम्मिक निधन पर प्रति अपनी समवेदना प्रकट करती है। हादिक शोक प्रकट करती है । जयभगवान जी वीर सेवा प्रेमचन्द जैन मन्दिर के सन १९४२ से अब तक प्रधान मंत्री थे । वीर पं. मंत्री, वीर सेवा मन्दिर वीर-सेवा-मन्दिर और "अनेकान्त" के सहायक १०००) श्री मिश्रीलाल जी धर्मच द जी जैन, कलकत्ता | २५०) श्री रामस्वरूप जी नेमिचन्द्र जी, कलकत्ता १०००) श्री देवेन्द्रकुमार जैन ट्रस्ट, १५०) श्री बजरगलाल जी चन्द्रकुमार जी, कलकत्ता श्री साह गीतलप्रमाद जी, कलकत्ता १५०) श्री चम्पालाल जी मरावगी, कलकना ५००) श्री गमजीवनद म जी सरावगी, कलकत्ता | १५०) श्री जगमोहन जी मरावगी, कलकत्ता ५००) श्री गजराज जी मगवगी, कलकना १५०) श्री कस्तूरचन्द जी प्रानदीलाल, कलकता ५००) श्री नथमल जी मेठी, कलकना १५०) श्री कन्हैयालाल जी मीनागम, कलकत्ता ५००) श्री वैजनाथ जी धर्मचन्द जी, कलकता १५०) श्री प० बाबूलाल जी जैन, कलकत्ता ५००) श्री रतनलाल जी भाझी, कलकता १५०) श्री मालीराम जी सगवगी, कलकत्ता २५१) श्री ग० बा० हरखचन्द जी जैन, रांची १५०) श्री प्रतापमलजी मदनलाल पांड्या, कलकत्ता २५१) श्री अमरचन्द जी जैन (पहाड्या), कलकत्ता | १५०) श्री भागचन्द जी पाटनी, कलकत्ता २५१) श्री स० सि. धन्यकुमार जी जैन, कटनी | १५०) श्री शिखरचन्द जी सरावगी, कलकत्ता २५१) श्री सेठ सोहनलाल जी जैन, १५०) श्री सुरेन्द्रनाथ जी नरेन्द्रनाथ जी कलकत्ता मैससं मुन्नालाल द्वारकादास, कलकत्ता | १००) श्री रूपचन्द जी जैन, कलकत्ता २५०) श्री मोतीलाल हीराचन्द गांधी, उस्मानाबाद १००) श्री बद्रीप्रमाद जी पात्मागम जी, पटना २५०) श्री बन्शीधर जी जुगलकिशोर जी, कलकत्ता १०१) श्री मारवाड़ी दि० जैन समाज, व्यावर २५०) श्री जुगमन्दरदास जी जैन, कलकत्ता १०१) श्री दिगम्बर जैन समाज, केकड़ी २५०) श्री सिंघई कुन्दनलाल जी, कटनी | १०१) श्री सेठ चन्दूलाल कस्तूरचन्दजी, बम्बई नं०२ २५०) श्री महावीर प्रसाद जी अग्रवाल, कलकत्ता १०१) श्री लाला शान्तिलाल कागजी, २५०) श्री बी० आर० सी० जैन, कलकत्ता दग्यिागंज. दिल्ली।
SR No.538017
Book TitleAnekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1964
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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