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________________ मुनि श्री कान्तिसागर के पत्र का महत्त्वपूर्ण अंश "अनेकान्न मुझे यथा समय मिल जाता है । इसमें कोई सन्देह नही कि अब अापने इसका स्तर बहुत ही ऊंचा कर दिया है। निबन्ध पठनीय और स्थायी शोध की सामग्री प्रस्तुत करते हैं। जैन समाज का यह शोध प्रधान पत्र विद्वत्समाज का मार्ग दर्शन कगता रहे, यही कामना है। मै भी यथा समय कुछ न कुछ भेजता रहूंगा।" वीर-सेवा-मन्दिर और "अनेकान्त" के सहायक १०००) श्री मिश्रीलाल जी धर्मचन्द जी जैन, कलकत्ता | १५०) श्री चम्पालाल जो सरावगी, कलकता १०००) श्री देवेन्द्र कुमार जैन, ट्रस्ट, १५०) , जगमोहन जी सरागी, कलकत्ता श्री सातु शीतलप्रसाद जी, क्लकत्ता १५०) , कस्तूरचन्द जी प्रानन्दी नाल कलकता ५००) श्री रामजीवन संगवगी एण्ड सस, कलकत्ता १५०) , कन्हयालाल जी सीताराम, कलकत्ता - ५० ) श्री गजराज जी सरावगी, कलकत्ता १५०), प. बाबुलाल जो जैन, कलकत्ता ५००) श्री नथमल जी सेठी, कलकत्ता १५०) , मालीराम जी सरावगी, कलकत्ता ५००) श्री वैजनाय जी धर्मचन्द जी, कलकत्ता १५०) । प्रतापमल जी मदन लान पाइया, कलकत्ता ५००) श्री रतनलाल जी झांझरी, कलकत्ता १५०) , भागचन्द जो पाटनी, कलकत्ता २५१) श्री रा. बा० हरखचन्द जो जैन, राची १५०) , शिखरचन्द जी सरावगी, कलकत्ता २५१) श्री अमरचन्द जी जैन (पहाडया), कलकत्ता १५०) , सुरेन्द्रनाथ जी नरेन्द्र नाथ जा कलकत्ता २५१) श्री सं० सि० धन्यकुमार जी जैन, कटनी १०१) , मारवाडी दि० जन समाज, व्यावर २५१) श्री सेठ सोहनलाल जो जैन, १०१) , दिगम्बर जैन समाना, केकड़ी मैसर्स मुन्नालाल द्वारकावास, कलकत्ता १०१) , सेठ च दूलाल कस्तूरचन्दजी, बम्बई नं०२ २५१) श्री ल.ला जयप्रकाश जी जैन १०१) , लाला शान्तिलाल कागजी, दरियागज दिल्ली स्वस्तिक मेटल वर्क्स, जगाधरी १०१) ,, सेठ भवरीलाल जी बाकलीवाल, इम्फाल २५०) श्री मोतीलाल हीराव-व गांधी, उस्मानाबाद १०१) , शान्ति प्रसाद जो जन २५०) श्री बन्शीचर जी जुगलकिशोर जी, कलकत्ता जैन बुक एजेन्सी, नई दिल्ली १५०) श्री जुगमन्दरदास जी जैन, कलकता. १०१) , सेठ जगन्नाथजी पाण्डया झमरीतलया २५.) श्री सिंघई कुन्दनलाल जो, कटनी १००) ,, बद्रीप्रसाद जो प्रात्माराम जी, पटना २५०) श्री महावीरप्रसाद जो अप्रवाल, कलकत्ता १००) , रूपचन्दजी जैन, कलकत्ता २५०) श्री बी. प्रार० सी० जैन, कलकत्ता १००) , जैन रत्न सेठ गुलाबचन्द जी टोंग्या २५०) श्री.रामस्वरूप जी नेमिचन्द्र जी, कलकत्ता १५०) श्री बजरंगलाल जी चन्द्रकुमार जी, कलकत्ता | १००) , बाबू नपेन्द्रकुमार जी जैन, कलकत्ता
SR No.538017
Book TitleAnekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1964
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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