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________________ अपभ्रंश का एक प्रमुख कबाकाव्य २६६ की वास्तविक प्रगति का चित्रबद्ध रूप प्रकट करती हुई में कही जाती है और कहीं पर सौदागर के रूप में२२ । जान पड़ती है। अधिकतर लोक-कहानियो मे राजकुमार की कहानी इसमे इमी प्रकार क्सिी उजाड़ नगरी या गन्धवों के देश मे मिलती-जुलती सुनी जाती है । बगाल की प्रसिद्ध लोकअथवा पातालपुरी में किसी बहुत मुन्दर राजकुमारी का कथानों में 'कलावती राजकन्या' की कहानी इसी प्रकार की रूपकथा है जिसमे पांचो राजकुमार ईविश सबमे अकेला रहना और नायक का माहमिक कार्यों द्वारा उमे छोटे दोनो राजकुमारो को छोड़कर कलावती को पाने के प्राप्त करने या प्राप्त हो जाने की घटना भी लोक-कथानो लिए जहाज में बैठकर यात्रा करते है। किन्तु दोनो भाई तथा भविष्यदत्त कथा में समान है। बगला मे "घुमन्तपुरी" भी डोगो मे बैटकर प्रस्थान करते है। दोनो भाई तीन नामक दादी की सुनाई हुई कहानी ऐमी ही है जिसमे एक बुढियो के देश मे पहुँचकर बुढ़िया के चंगुल में फंसे हुए राजा का पुत्र के बार-बार मना करने पर पिता की प्राज्ञा पांचो भाइयों को छुड़ाते है। परन्तु इस पर भी पांचों मे देश-भ्रमण के लिए निकल पड़ता है और निर्जन एव भाई दोनो भाइयों की उपेक्षा कर आगे बढ़ जाते है । मार्ग निशब्द वन मे किमी गजभवन में पहुंच जाता है, जिम मे दिशाभ्रम की दशा मे दोनो भाइयो मे से बुद्धू पाँची की नगरी को गक्षमो ने उजाड दी थी और न जाने क्यो महायता करता है। अन्त मे तूफान पाने में पांचो भाई गजकुमारी को छोडकर गक्षम ने समस्त नगरी का ध्वस इब जाते है । बुद्ध कलावती के नगर मे पहुँच कर देखता कर डाला था। गजकुमार उम गजकन्या को प्राणान्तक है कि पाँचो भाई बन्दीगृह में हैं। उमे भी बन्दी बना नीद मे जगाकर बुद्धिबल मे गक्षम का अन्त कर देता लिया जाता है। परन्तु वह कला-कौशल से पाँचो भाइयो है२१ । भविष्यदत्त भी माता के बहुन हट कर मना करने का तथा छोटे भाई को कलावती के साथ लेकर पोत मे पर भाई के साथ व्यापार करने कचन-द्वीप की यात्रा करता बैठार घर के लिए लौट पडना है । पाँची भाई कलावती है । मैनागद्वीप में छोड दिए जाने पर तिलकपुर में भटक को बद्ध के पास देखकर जल-भुन उठते है और उन दोनो कर पहुँचना है। भविष्यदत्त उजाड नगरी को देखकर भाइयों को ममद मे फेक देते है। कलावती को कंद कर राजमहल में जाता है जहाँ सुन्दर गजकुमारी से उमकी वे अपने नगर में ले जाते है। राजा कलावनी का विवाह भेट होती है। राक्षम को पाम मे पाते देखकर भविष्यदत्त गजकमार में करना चाहता है परन्तु वह तैयार नहीं उममे युद्ध करने के लिए तैयार हो जाता है। राक्षम होती। राजा उसे मार डालने की धमकी देता है। वह भविष्यदन का साहम और पगक्रम देवकर प्रसन्न हो महीने का व्रत धारण करती है। हमी बीच दोनो राजजाना है और भविष्यानुरूपा का विवाह उसके साथ कर कुमार पाकर कलावती में मिलने है । राजा को जब माग देता है। रहस्य ज्ञात होता है तब वह बुद्ध का विवाह कलावती के साथ धूम-धाम से करता है। छोटे भाई का पाणिग्रहण भविष्यदत्त कथा का लोक-रूप भी किसी अन्य राजकुमारी में हो जाता है। पांचों भाइयो यद्यपि अपभ्रश की कथाए सच्ची मान कर लोगो के को अपने किये का दण्ड मिलता है। मन पर धार्मिक प्रभाव डालने के लिए लिखी गई है पर इम प्रकार मक्षेप में भविष्यदत्त की लोक-कथा का उनकी जडे लोक-कथानो मे जमी हुई मिलती है। रूप है-किसी नगर में एक नगर सेठ रहता था। उसका भविष्यदत्तकथा भी मूलत. लोक-कथा है, जो उद्देश्य विशेष नाम धनवइ था। कमलश्री नाम की उमके शील तथा से प्रबन्धकाव्य के रूप में वर्णित है । इस तरह की कथा रूपवती पत्नी थी। उन दोनो के भविष्यदत्त नाम का एक कहानी प्राज भी हमारे यहाँ गाँवो मे कही जाती है। पुत्र उत्पन्न हुमा । धीरे-धीरे सेठ का मन उससे विरक्त हो कही पर यह कहानी राजा-रानी और राजकुमागे के रूप २२. डा. नामवरसिह : हिन्दी के विकास में अपभ्रंश २१. वही, पृष्ठ ५६ । का योगदान, तृतीय परिवर्तित सस्करण, पृ० २५८
SR No.538017
Book TitleAnekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1964
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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