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________________ विषय-सूची HTTER विषय पृष्ट १. प्रहन परमेष्ठी गतवन -मुनि पद्मनन्दि १७ २. मध्य प्रदेश की प्राचीन जैन-कला -प्रो० कृष्णदत्त वाजपेयी १८ ३. शब्द-माम्य और उत्रि-माम्य -मु ने श्री नगराज जी १०० ४. विश्व-मैत्री -डों. इन्द्रचन्द्र शास्त्री १०३ १. धर्म ही मंगल मय है -अशोक कुमार जैन १०. . ६. तेरहवीं-चौदहवीं शताब्दी के जैन संस्कृत महाकाव्य -डा. श्यामशंकर दीक्षित १०८ ७. जैन दर्शन और पातञ्जल योगदर्शन साध्वी श्री मंघमित्रा जी ११४ ८. मंदिरों का नगर-मड़ई -नीरज जैन ११० है. शोध-टिप्पण 1-प्रागमों के पाठ-भेद और उनके मुख्य हेतु -मुनिश्री नथमल जी ११८ २-राजा श्रीपाल उर्फ ईल -नेमचन्द डोणगांवकर न्यायतीर्थ १२० ३-अनार्य देशों में तीथंकरों और मुनियों का विहार -मुनि श्री नथमलजी १२२ ४-द्रोणगिरि -डा. विद्याधर जोहरापुरकर १२३ १०. गेही पै गृह में न रचे -श्री कुन्दनलाल जैन १२४ 11. अनेकान्त और अनाग्रह की मर्यादा ___-मुनि श्री गुलाब चन्द्र जी निर्मोही' १२० १२. महाकौशल का जैन पुरातत्व -बालचन्द्र जैन एम० ए० १३॥ १३. जगत राय की भकि -गंगाराम गर्ग एम० ए० १३३ १४. श्री दलपतिराय और उनकी रचनाएँ -प्रो. प्रभाकर शास्त्री एम.ए. १३५ १५. मोक्षशास्त्र के पांचवे अध्याय के सूत्र . पर विचार -६० मरनाराम जैन १३८ १६. ब्रह्म जीवंधर और उनकी रचनाएँ -परमानन्द जैन शास्त्री १४. १७. साहित्य-समीक्षा -परमानन्द जैन शास्त्री " मुड़ई से प्राप्त एक विशाल जिनबिम्ब का छत्र (छाया-नीरज जैन) सम्पादक-मण्डल डा० प्रा० ने. उपाध्ये डा. प्रेमसागर जैन श्री यशपाल जैन अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपये एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ न. पं. भनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिये सम्पादफ मंडल उत्तरदायी नहीं है।
SR No.538017
Book TitleAnekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1964
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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