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जैन-ग्रंथ-प्रशस्ति-संग्रह
उत्तुग धबलु सिरि-कब-कबसु, तहिं जिणहरु ई बासहर जसु । मइ गपि पखोबड जिण-भवणु, बहु समयालउ सम-सरण । सिरि अरुह बिंबपुणु बंदिवर, अप्पाबड-गरिहट-गिदिया । हो किरणेहें सिविणंग पाई, विहरंगई कि सुहि संगमई। भो भो परमप्पय तुहुं सरण, मसिड जम्म-जरा-मरणु ।
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सहि पुरवाड बस बापामब, भणशिव-पुष-पुरिस-सिम्मबल। पुण हुउ रायसेहि लिव भत्ता, भोवई गामें दप-गुण-तर। सुहडपउ तहो संदण बावर, गुरु सजग भुषधि विसावर । तहो सुदुरपणवालु धरापति, परमप्यय-पंकब-ड-अति। एहि वहिनिया-वित्य-नानंतर, महि-ममंतु पल्हणपुर पत्ता । सिरि पहचंदु महागाव पापड, बहुसीसेहि सहिड शनि रावतु। या बाएसरि-सरि-यणायर, सुमय कणय-सुपरिक्वाय-बायह। दिलु गणोंसें पय-पणवंवड, बुह धणवालु विबुह-जन-भत्तड । मुशिणा दिउ हत्युषिशोएं, होसि वियक्तणु मज्मु पसाएं। मंतु देमि तुहकप मत्थए कर, महु मुह-हिम्मड बोसहिचस्वक। सृषि-वयणु सुखि म प्रायदिर, विवएं पाय-अभवमई बंदिर। पडिय सस्थ गुरु-पुरट प्रणावस,
हुभ जप-सिदि सुका-भावावस । बा-पट्टणे खंभायच्चे धार-णयरि देवगिरि। मिकामय विहुर्णतु गणि पत्तठ जोइणिपुरि॥१॥
तहिं भवहिं सुमहोछट विहिवड, सिरि रयणकित्ति-प? बिहमर । महमूद साहि मणु रंजिवड, विजहि-वाहन-माणु-भंजिवट गुरु प्राएसें मई किस गमखु, सूरिपुर बंदिर ऐमिजिणु । पुर्ण दिवा चंदवाडुण्यरु, बरनवानल्यं मवर-हा।
बावकणव सपा पर, पुहारमवि सिरि हा
एक मुशियर पर खमंसिपई, अमिजाव प. ता पत्ता सिरि संघाहिवद दिट्टड वासखर सुबह
जायव-वंस-पभोणिहि-दु-पाहु, मासि पुरिसु सुपसिद्ध जसहरू । तहो शंदणु गोकणु संजायउ, संभरिराय मंति विसापड। सहो सुड-सोमएउ-सोमाणयु, कुणय-गइन-विंद-पंचाहनु । तहो पेमसिरि भज्जा विवाहय, बय-बम-सीत-गुणेहिं विराहप । एपहिं सत्त-पुत्त संजाइम, पंजिय गिरए सच-विक्साइच । पदमु ताहं दव-परखी सुरतह, संघाहिट गामें वासाहरु। जो दिवहाडिय चाड-पसिङड, यह भंड शिव मंत-समिधर। पुणु बीवड-परिवार सहोयर, विशकिड हरिराय मबोहरु । तइबर सुड पल्हाउ समक्खन, संजावड भादंदिव-सज्जन । पुण कुरियर महराउ विसुख, गुण-मंडिय तण हुट जस-लुइट। पंचमु भामराउ मेदायर, बटर तब बाम-रयणायह। सतमु समस-मारपवार,