________________
पृष्ठ
अनेकान्तके बारहवें वर्षकी विषय-सूची विषय और लेखक
पृष्ठ विषय और लेग्वक अत्यावश्यक वर्णी सन्देश
गरीवी क्यों ? -[स्वामी सत्यभक्त -[शिखरचन्द जैन ३८१ गोम्मटसार जीवकाण्डका हिन्दी पद्यानुवादअध्यात्म तरंगिणी टीका
[पं० परमानन्द जैन शास्त्री २५४ [पं० परमानन्द जैन शास्त्री ३० ४२५) रु० के दो नये पुरस्कारभाषाके अप्रकाशित कुछ प्रन्थ
[जुगलकिशोर मुख्नार ४७ [पं० परमानन्द जैन शास्त्री २६३ १४ वीं शताब्दीकी एक हिन्दी रचनाभनेकान्तका द्वितीय वर्पिक हिसाब
३८७
[पं. कस्तूरचन्द काशलीवाल एम. ए. २३ अहिंसा और जैन संस्कृतिका प्रसार
चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन (कविता)-- [बा० अनन्त प्रसाद जैन B.Sc. Eng. २३३
[सोमसेन ३२९ आकिंचन्य धर्म-[पं० परमानन्द जैन शास्त्री १४० जन्म-जाति गर्वापहार--[ 'युगवीर' मार्जव-[पं० अजितकुमार जैन शास्त्री १३० जिनशासन (प्रवचन)-[श्री कानजी स्वामी २११ भाठशंकाओंका समाधान
जैनधर्म और जैनदर्शन-श्री अम्बुजाक्ष [तुल्लक सिद्धिसागर २७२
___ सरकार एम. ए. बी. एल. ३२२ मात्म-सम्बोधक अध्यात्म पद
जैनसाहित्यका दोपपूर्ण विहंगावलोकनकविवर दौलतराम ३६१
[पं० परमानन्द जैन शास्त्री २५६ प्रात्मा-[श्री १०५ पूज्य क्षुल्लक गणेश- ज्ञानीका विचार :कविता)-[ कविवर द्यानतराय १०७
___ प्रसादजी वर्णी ३३ तत्त्वार्थ मूत्रका महत्व-[पं० बंशीधर मात्म, चेतना या जीवन-[बा० अनन्त प्रसाद जो ।
व्याकरणाचार्य १३५ B.Sc. Eng.०, १४३
१४३ तामिल प्रदेशोंमें जैनधर्मावलम्बी- श्री प्रो.
तामि पाये और द्रविड़ संस्कृतिक सम्मेलनका उपक्रम
एम. एस. रामस्वामी आयंगर एम. ए.२९६ [बा जयभगवान जैन एडवोकेट ३३५ दशधर्म और उनका मानव जीवनसे सम्बन्ध-- उज्जैनके निकट प्राचीन दि. जैन मूर्तिया
[पं. बंशीधर व्याकरणाचार्य ११५ [वा. छोटेलाल जी जैन ३२७ दशलक्षण धर्म पर्व-[ श्री दौलतराम मित्र १२ उत्तम क्षमा-[६० परमानन्द जैन शास्त्री ११६ दशलाक्षणिक धर्म-स्वरूप-[कविवर रइधू १०८ उत्तम मादव- श्री १०५ पूज्य क्षुल्लक गणेश- दुःसहभ्रातृवियोगप्रसादजी वर्णी १२३
[जुगलकिशोर मुख्तार टाइटिल २ पेज उत्तम तप-[पी. एन. (परमानन्द) शास्त्री ११ ।दोहागुपेहा-लक्ष्मीचन्द्र ( अपभ्रंश रचना) ३०२ उत्तर कन्नडका मेरा प्रवास
धर्म और राष्ट्रनिर्माण-(एकप्रवचन) .. [पं० के. भुजबली जैन शास्त्री ७६
, [आचार्य तुलसी ३४८ ऋषभदेव और शिवजी-बाबू कामताप्रसाद जैन २५ धवलादि ग्रन्थोंके फोटो और हमारा कर्तव्यकाँका रासायनिक सम्मिश्रण
1 [राजकृष्ण जैन '३६६ . [पा० अनन्त प्रसाद जैन B. Sc. Eng. १२, ५८ धवलादि सिद्धान्त ग्रन्थों का उद्धार कविवर भूधरदास और उनकी विचारधारा
-[सम्पादक विवेकादय ३८३ - [पं० परमानन्द जैन शास्त्री ३०५ प्राचीन जैन साहित्य और कलाका प्राथमिक रिचयकुछ नई खोजें-[पं० परमानन्द जैन शास्त्री २८ करलकाव्य और जैन कर्तृत्व-[विद्याभूषण बंकापुर-[५० के० भुजबली शास्त्रा २४३
पं० गोविन्दराय शास्त्री १६८, २०० बंगीय जैन पुरावृत्त-बाबू छोटेलालर्ज जैन १६,४२,६६
रचय
[एन. सी
बंकापुर-
वेन्दराय शास्त्री