SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४३ विषय-सूची १ वीर-वन्दना (कविता)--युगवीर १ ११. जैनी कान ? (कविता)--युगवार २ वीर-बागी (कविता)--युगवीर २ २० सर्वोदयतीर्थ और उसके प्रति कर्तव्य--बा. उपमन ३ वीर-शामनाभिनन्दन--ममन्तभद्रादि जैन M. A. LL. B. ४ ४ वीर-तीर्थाऽवतार--सम्पादक २५ बीत रही है अनपम घटियों (कविता)--इन्दुजन : ५ समन्नभद्र-वचनामृत--युगवीर २. उद्बोधन (कविता)--श्रीचन्द्रभान 'कमलेग' ६ ६ मानवधर्म (कविता)-युगवीर २१ मोहनजोदड़,कालीन और आधुनिक जैन-मा कृति ७ महावीर-मन्देश (कविता)--युगवीर --बा० जयभगवान एडवोकेट . ८ श्रीवीरका सर्वोदयतीर्थ--सम्पादक २४ भगवान महावीर ओर उनका मदियतीर्थ ५. सर्वोदय नीर्थ--५० कैलाशचन्द्र जैन शास्त्री १७ --10 परमानन्द शास्त्री '. १० सर्वोदय या निजोदय--प्रो० देवेन्द्रकुमार एम.ए. १३ ११ जैनधर्म और समाजवाद--प्रो० महेन्द्र कुमार न्या० -१ २५ वीर-गागनके कुछ मल मूत्र--यगवीर २६ परम उपाम्य कान ' (कविता)--युगीर १२ सर्वोदय और मामाजिकना--श्रीऋषभदाम गका २७ अज-मम्बोधन (मचित्र कविता)--यगवीर १३ मर्वोदय कैमे हो?-बा० अनन्तप्रमाद B.Sc. ५ ०८ मम्ताग्श्री जगलकिशोरजोका ट्रम्टनामा १४ अहिमक-परम्परा-श्री विश्वम्भग्नाथ पाड६१ १५ महावीरम्बामीसे भवनको प्रार्थना (कविता) ०१. माहित्य-पग्निय ओर ममालोचन--1०परमानन्द ७८ --० नायगम प्रमी ३. लोकका अद्वितीय गर अनकान्तवाद--पदरबारी१६ मबका उदय--महात्मा भगवानदीन लाल, न्यायानायं ७ १७ मादय नीयं के नाम पर-श्रीजमनालाल गा.10: ८ १ ख गरि-उदयगिरि-परिनय--त्रान्छोटेलाल जैन ? १८ आनायं थीसमन्तभद्रका पार्टीलपुत्र-श्रीदगग्य 2. सम्पादकीय (0) अनकान्तका नया वर्ष शर्मा एम०ए०, डी. लिट (२)चित्र परिचय अनेकान्तकी सहायताके सात मार्ग (१) अनेकान्तके 'मरक्षक' तथा 'सहायक' बनना और बनाना। स्वयं अनेकान्तके ग्राहक बनना तथा दूसरोंको बनाना । (३) विवाह-गादी आदि दानके अवमरोंपर अनेकान्तको अच्छी सहायता भजना तथा भिजवाना। (४) अपनी ओरसे दूसरोको अनेकान्त भट-म्वरूप अथवा फ्री भिजवाना, जैसे विद्या संस्थाओ, लायब्रेरियों, सभा-मोसाइटियो और जैन-अजैन विद्वानोको । विद्याथियों आदिको अनेकान्त अर्ध मल्यम देनेके लिये २५).५०)आदिकी महायता भेजना । २५) की महायतामें १०को अनेकान्त अर्धमूल्यमे भेजा जा मकेगा।)। (६) अनेकान्तके ग्राहकोंको अच्छे ग्रन्थ उपहारमें देना तथा दिलाना। लोकहितकी माधनाम सहायक अच्छे सुन्दर लेख लिखकर भेजना तथा चित्रादिमामग्रीको प्रकाशनार्थ जुटाना । गहायनादि भजन तथा पत्रव्यवहारका पता-- नोट--दस ग्राहक बनानेवाले सहायकोको ___ मैनेजर 'अनेकान्त' 'अनेकान्त' एक वर्ष तक भेंटस्वरूप भेजा जायगा। वीरसेवामदिर, सग्मावा जि. सहारनपुर । (५) विद्या
SR No.538011
Book TitleAnekant 1952 Book 11 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1952
Total Pages484
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy