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________________ विषय-सूची विषय लेखक १ अपराध-क्षमा-स्तोत्र-[सम्पादकीय २ मैं क्या हूँ- पं. दरवारीलालजो 'सस्य भन' ३ आत्मा और पुद्गलका अनादि सम्बन्ध-[श्री लोकपाल ४ जैनेन्द्र व्याकरणके विषयमें दो भूले-[ युधिष्ठिर भीमांसक ५ मेरे मनुष्य जन्मका फल-[श्री जुगलकिशोर कागजी ६ कविवर बनारसीदास -[ कुमार वीरेन्द्रप्रसाद जैन ७ महार-क्षेत्रके प्राचीन मूर्ति-लेख-[संग्राहक पं. गोविन्ददास जैन ८ अष्टसहस्रीकी एक प्रशस्ति-[सम्पादक १ पांडे रूपचन्द और उनका साहित्य-[पं० परमानन्द जैन शास्त्री १० साहित्य-परिचय और समालोचन [पंडित परमानन्द शास्त्री . अनेकान्तकी सहायताके चार मार्गशित होनेके लिये उपयोगी चित्रोंकी योजना करना (१) २५); ५०), १००) या इससे अधिक रकम और कराना । सम्पादक 'अनेकान्त देकर सहायकोंकी चार श्रेणियोंमेंसे किसी में अपना आवश्यक सूचना नाम लिखना। वीरसेवामन्दिरका आफिस और स्टाफ अब (२) अपनी ओरसे असमर्थोंको तथा अजैन सरसावासे देहली आगया है और 'अनेकान्त का संस्थाओंको अनेकान्त फ्री (विना मूल्य) या अर्ध- प्रकाशन देहलीसे होने लगा है। अतः 'अनेकान्त में मूल्यमें भिजवाना और इस तरह दूसरोंको अनेकान्त समालोचना तथा परिवर्तनके लिये लेखक तथा पत्रके पढ़नेकी सविशेष प्रेरणा करना। (इस मदमें कार अपनी पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएं निम्न पतेपर सहायता देनेवालोंकी ओरसे प्रत्येक बारह रुपयेकी भेज । वीरसेवामन्दिरके सुरुचिपूर्ण प्रकाशनोंको सहायताके पीछे अनेकान्त तीनको फ्री अथवा छहको मंगाने लिये भी निम्न पते पर ही पत्रव्यवहार करें। अर्धमूल्यमें भेजा जा सकेगा। अनेकान्तकी यह दूसरी किरण पाठकोंके पास (३) उत्सव-विवाहादि दानके अवसरोंपर वी० पी० से पहुँच रही है। वे उसे अवश्य छडा लें। अनेकान्तका बराबर खयाल रखना और उसे अच्छी व्यवस्थापकसहायता भेजना तथा भिजवाना, जिससे अनेकान्त वीरसेवामन्दिर, अपने अच्छे विशेषाङ्क निकाल सके, उपहार प्रन्थोंकी ७३३ दरियागंज, देहली योजना कर सके और उत्तम लेखोंपर पुरस्कार भी अनेकान्तके विज्ञापन-रेट दे सके । स्वतः अपनीअोरसे उपहार-ग्रन्थोंकी योजना भी इस मदमें शामिल होगी। एक वर्षका छह महीनेका एक बारका (४) अनेकान्तके ग्राहक बनना, दूसरोंको बनाना पूरे पेजका १५०) और अनेकान्तके लिये अच्छे अच्छे लेख लिखकर आधे पेजका ८०) १०) भेजना, लेखोंकी सामग्री जुटाना तथा उसमें प्रका- चौथाई पेजका ५०)
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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