SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 387
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समाचार केन्द्रीय मंत्रिमंडलमें एक जैन मंत्री दोनों हाथ नहीं हैं। इसी लिये वह अपने दाहिने श्रीमान बा. अजितप्रसाद जी जैन एम० एल०ए० परकी उङ्गलियों से कलम पकड़ कर बहुत सुन्दर सहारनपुरको अभी भारतसरकारके केन्द्रीय मंत्रीमंडल लिखता है और बहुत जल्दी लिखता है। कनड़ीमें में श्री मोहनलाल सकसेना स्थान पर नियुक्त किया वह अन्तिम परीक्षा पास कर चुका है। बीजापुर में गया है। बधाई। अध्यापकी प्राप्त करनेका प्रयत्न कर रहा है । गर्दन पैर से लिखने वाला और कंधे के बीच लगाम पकड़कर घड़सवारी भी कर्नाटकके सीमावर्ती एक गावमें शंकरापा करता है। नामक एक नवयुवक रहता है जिसके बचपनसे ही स्वाध्यायप्रेमियों के लिये उत्तम अवसर भारतकी राजधानी देहली में वीरसेवान्दिरके तत्वावधानमें समाजके जिनवाणीभक्त दानी महानुभावोंकी आर्थिक सहायतासे एक सस्ती जैन प्रन्थमाला की स्थापना हुई है। ग्रन्थमाला-का प्रत्येक प्रन्थ गृहस्थोपयोगी है-स्त्री पुरुष और बच्चोंके लिए उसका लेना बड़ाही लाभदायक और अत्यन्त आवश्यक है। इसलिये प्रत्येक सदगृहस्थका कर्तव्य है कि वह इन ग्रन्थरत्नोंको खरीदकर जिनवाणीके स्वाध्यायसे आत्म-कल्याण करे। इस सस्तीका ग्रन्थमालासे प्रकाशित निम्नलिखित प्रन्थोंका लागत मूल्य १५) है, वे पूरा मंट लेने वाले सज्जनों को लागतसे भी कम मूल्य १२) में और पद्मपुराणको छोड़कर शेष ग्रन्थोंका सेट सिर्फ७)में देनेका निश्चय किया है। जिन्हे इन ग्रन्थरत्नोंकी आवश्यकता हो व प्राहकों में अपना नाम लिखाकर और अपना मूल्य भेजकर बोरसेवामन्दिर आफिस ७३३ दरियागज देहली से रसीद लेलें। पद्मपुराण क सिवाय सभी ग्रन्थ छपकर तैयार है। पद्मपुराण प्रेसमे छप रहा है। १ रत्नकरण्डश्रावकाचार-सजिल्द लगभग ८०० पृष्ठ(मूल० समन्तभद्राचार्य, टी. पं० सदासुखदासजी ३) २ मोक्षमार्गप्रकाशक-सजिल्द लगभग ५०० पृष्ठ (प० टोडरमलजी) २॥) ३ जैन महिलाशिक्षासंग्रह-पृष्ठ २४० ४ सुखकी झलक-पृष्ठ १६०( पूज्यवर्णीजीके प्रवचनोंका सुन्दर संकलन ) ५ श्रावकधर्म संग्रह-पृष्ठ २४० (पं० दरयावसिंह,श्रावकोपयागी पुस्तक) ६ सरलजैन धर्म-पृष्ठ ११२ (बालकोपयोगी पुस्तक) ७ छहढाला-पृष्ठ ५०० (पं० दौलतरामजी व प० बुधजनजी कृत) ८ पद्मपुराण-(सजिल्द बड़ा साइज ) पृष्ठ ८०० ( मल रविपणाचाये, टी० पं० दौलतरामजो) ६ 40. मन्त्री-वीरसेवामदिन सस्ती ग्रन्थमाला, नं०७४३३ दरियागंज, देहली।
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy