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प्राप्तपरीक्षापर डा० ए.एन. उपाध्ये एम.ए. को सम्मति जैन समाजके प्रख्यात साहित्यसेवी डा. ए. एन. उपाध्ये एम.ए., प्रोफेसर राजारामकालेज कोल्हापुर ने वीरसेवामन्दिरसे प्रकाशित प्राप्तपरीक्षाके नवीन संस्करण पर न्यायाचार्य पं.दरबारीलाल कोठियाको प्रतिकी पहुंच भेजते हुये अपनी शुभ सम्मति भेजी है । उसमें आपने लिखा है
'आप्तपरीक्षाकी प्रति मुझे मिल गई। श्रापकी प्रस्तावना सरसरी निगाहसे मैंने पढ़ ली है। वह बहुत व्यवस्थित, विद्वत्तापूण और साम्यग्दृष्टि से लिखी गई है। आचार्य विद्यानन्दोके बारेमें भापकी प्रस्तावना एक व्यापक और प्रामाणिक निबन्ध है । आप्तपरीक्षा की यह श्रावृत्ति जैनन्यायका अभ्यास करने वालोंके लिये बहुत उपकारक होगी। इसमें मुझे कुछ भी सन्देह नहीं है। मैं आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। और आगे आपसे बड़े २ प्रन्थोंका विद्वत्तापूण सम्पादन होनेको आशा रखता हूँ।'
व्यवस्थापक, 'वीरसेवामन्दिर स्वाध्यायप्रेमियोंके लिये उत्तम अवसर भारतको राजधानी देहलीमें वीरसेवामन्दिरके तत्त्वावधानमें समाजके जिनवाणोमक्त दानी महानुभावोंकी आर्थिक सहायतास एक सस्ती जैन प्रन्थमालाकी स्थापना हुई है। प्रन्थमाला. का प्रत्येक प्रन्थ गृहस्थोपयोगी है-स्त्री पुरुष और बच्चोंके लिए उसका लेना बड़ा ही लाभदायक और अत्यन्त धावश्यक है। इसलिये प्रत्यक सद्गृहस्थका कत्तब्य है कि वह इन प्रन्यरत्नोंको खरीदकर जिनवाणीके स्वाध्यायसे आत्म-कल्याण कर । इस ग्रन्थमालासे प्रकाशित ग्रंथोंको प्रायः लागतसे भी कम मूल्य में दिये जाने की योजना की गह । अभी नीचे लिखे प्रन्थ छप रहे हैं। जिन ८ प्रन्यांका लागत मूल्य १५) है, वे पूरा सेट लेनेवाले सज्जनोंको लागतसे भी कम मूल्य १२) में
और पद्मपुराणको छोड़कर शेष ७ ग्रन्यांका सेट सिर्फ ७) में देनेका निश्चय किया है। जिन्हें इन ग्रंथरत्नोंकी आवश्यकता हो वे ग्राहकोंमें अपना नाम लिखवाकर और अपना मूल्य भेजकर 'वीरसंबामन्दिर आफिस ७३३ दरियागंज देहली' से रसीद लेलें । प्रन्थ जैसे-जैसे तैयार होते
जायेंगे उसी क्रमसे वे उनके पास पहुंचते रहेंगे। १ रत्नकरण्डश्रावकाचार-सजिल्द लगभग ८०० पृष्ठ (मूल समन्तभद्राचार्य, टी०५० सदासुखदासजी ३) २ मोक्षमार्गप्रकाशक-सजिल्द लगभग ५०० पृष्ठ (पं० टोडरमलजो,) ३ जैनमहिलाशिक्षासंग्रह-पृष्ठ २४० ४ सुखकी झलक-पृष्ठ १६० (पूज्य वीजोके प्रवचनोंका सुन्दर संकलन) ५ श्रावकधम संग्रह-पृष्ठ २४०(पं०दरयावसिंह, श्रावकोपयागी पुस्तक) ६ सरलजैनधर्म-पृष्ठ ११२ (बालकोपयोगो पुस्तक) ७ छहढाला-पृष्ठ १०० (पं० दौलतरामजी व पं० बुधजनजी कृत) ८ पद्मपुराण-(सजिल्द बड़ा साइज) पृष्ठ ८०० (मूल० रविषेणाचार्य, टो० पं० दौलतरामजी) ६)
मन्त्री-सस्ती ग्रन्थमाला नं० ७३३ दरियागंज, देहली।