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________________ किरण -- भारतीय जनतंत्रका विशाल विधान ३०७ मूल इकाइयोंमें स्वायत्त शासन फि भारत विदेशियोंके इतने आक्रमणोंको अपनी संविधानकी २० वीं धारा अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रामव्यवस्थाके कारण ही झेल सका है। यदि है। इसमें कहा गया है कि "सरकार गांव-पंचायतें . उसका प्रामसंगठन इतना शक्तिशाली न होता तो संगठित करनेका यत्न करेगी और उन्हें ऐसे अधि प्रत्येक विदेशी आक्रमणके बाद देश तहस-नहस हो कार और सत्ता प्रदान करेगी जो गाँव-पंचायतोंक गया होता । इतनी उच्च कोटिका स्वायत्त शासन स्वायत्त शासनकी इकाइयोंके रूपमें कार्य करनेके सम्भवतः विश्वके किसी भी विधानमें : नहीं लिये प्रयोजनीय हों।" यह भी वह मौलिक सिद्धान्त रखा गया है। रूसमें भी व्यक्ति और आधारहै जिसके लिये कांग्रेस इतने दिनोंसे प्रयत्नशील थी। भूत इकाइयोंको इतने विस्तृत अधिकार नहीं दिये कांग्रेस तथा महात्मा गांधीजीका विश्वास था कि गये हैं। वहां तो पार्टी-मैशीन इतनी शक्तिशाली है सच्ची स्वतन्त्रता तभी कार्यान्वित हो सकती है जब कि वहांका सम्पूर्ण विधान देखनेमें संघीय और पूर्ण कि नीचेके स्तरपर की इकाइयां-अर्थात हमारे रूपसे जनतंत्रात्मक होते हुए भी वहां एकच्छत्र तानाग्राम-स्वतन्त्र जनतन्त्रके रूपमे बनाये जा सके। शाही शासन संभव हो सका है । भारतीय संवियह कोई नवीन बात नहीं है। गोस्वामी तुलसी धानमें आधारभूत इकाइयों, अर्थात् प्रामोंको स्वादासी मंथराको हम कहते हुए सुनते है-"को यत्त शासन देते समय चनावप्रणाली ऐसी रखी गई नृप होउ हमे का हानी"। इसका अभिप्राय यह है कि किसी भी समय किसी दल-विशेषको संविनहीं था कि इस देशकी आम जनताको राज्य और धानकी आत्माकं विपरीत उसे तानाशाही विधानमें राज्यनीतिसे कोई सरोकार नहीं था, बल्कि इसका बदलनेका अबसर न मिल सके। एकमात्र अभिप्राय यही था कि सारे दशमें पंचायतों अन्तमें सभी बातोंको ध्यानमें रखते हुए कहा का ऐसा जाल फैला हुआ था और उनके अधिकार जा सकता है कि भारतीय संविधानके अन्तर्गत जनता विस्तृत थे कि आम जनताको इस बातका की आशाओं और आकांक्षाओंके अनुकूल विकास कभी पता भी नहीं चलता था कि केन्द्र में कितने और प्रगतिकी पूर्ण गुंजाइश है। भारी परिवर्तन हो गये हैं। सच्चाई तो यह भी है 'नवयुग'
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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