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________________ २६४ अनेकान्त [ वर्ष १० कछ नेताओंका विचार है कि हिंदूकोडबिल जिस है जिनमें स्त्रीसम्पत्तिके बारेमें व्यवस्थाएँ हैं। भाग रूपमें पेश होरहा है, उसो रूपमे ज्यों-का त्यों पास सातमें तीन अध्याय और ३१ धाराओंमें उत्तराधिकिया जाय। कार, वसीयतहीन उत्तराधिकार, और वसीयतद्वारा कुछ नेताओंका मत है कि भारत सरकारको उपलब्ध सम्पत्तिके बारेमें उत्तराधिकार सम्बन्धी ऐसा कोई कानून बनाने और धर्ममें हस्तक्षेप करनेका नियम है। भाग पाठमे १३ धारायें है जिनमें भरणअधिकार नहीं है। पोषण(गुजारे) और उसकी रकमके बारेमे निर्देश है। कुछ नेताओंका मत है, कि वर्तमान भारत सर- भाग नोमे कुल दो धारायें है जिनमे नियम बनानके कारको ऐसा कानून बनानेका कोई अधिकार आधिकार और हिंदूकाडबिलमे संशाधन और खड नोंके विषयमें वर्णन है। नहीं है। भारत सरकारके कानूनो मंत्री माननीय श्री डा० इस बिलमे क्रान्तिकारीपनकी बातें एकपत्नीत्व भीमराव अम्बेडकर का विचार है कि इस सरकारको और एकपतित्व, असवणे विवाह, सगोत्र विवाह, यह कानून बनानेका वैसे ही अधिकार है, जैसे कि विवाहोंकी रजिस्ट्री होना, तलाक, लड़कियोंका पिता पहलेकी हिंदू, मुस्लिम और अंगरेजो सरकारें म की सम्पत्तिमें अधिकार हाना आदि है। हिंद पोंके लिये पिछले कालमे कानन बनाती रहीं। जैन समाजके सभी पत्रोंको हिंदकोडबिलको पर सरकार उसमें उचित संशोधन करनेको तैयार समझकर उसपर चर्चा करनी चाहिये । और सभी है। वह इसको पास करना देश व हिंदू समाजके प्रतिनिधि संस्थाओं, विद्वानों, नेताओं और वकीलों लिये अत्यन्त आवश्यक समझता है। को इसपर विचार करना चाहिये। हिदकोबिलका ___ मूल्य बारह आने है और "हिंदूकोडविल तथा उसका श्यक है। उद्देश्य" का मूल्य चार श्राने है और ये दोनों पुस्तके ___ इस बिलका संक्षेपमें विवरण नीचे दिया नीचे लिखे पतेसे मिल सकती है: १ डिस्टीट्यूशन अफसर, ___ इस बिल में नौ भाग, सात परिशिष्ट और कुल पब्लिकेशन्स डिवीजन, १३६ धारायें हैं । पहिले भागमे कुल चार धाराये हैं। गवनेमेट ऑफ इंडिया, इन धारओंमे बिलका नाम, सीमा विस्तार, काडका ओल्डसेक्रेटैरियट, दिल्ली । प्रभाव और परिभाषायें श्रादि है। दूसरे भागमें तीन अध्याय और ४७ धारायें हैं। इसमे विवाह, २ सरकारी पुस्तकोंके एजेंट पुस्तक विक्रेताओंस। विच्छेद और विवाह सम्बन्धी अधिकारोंकी प्राप्त आदिके बारमें धारायें है । भाग तीनमे तीन अध्याय जिन महानुभावोंको 'अखिल भारतीय हिंदूकोड २५ धाराय है जो गोदी लेनेसे सम्बन्ध रखती है। बिल विचारसमिति' को कुछ लिखना हो, वह उसके भाग चारमें नौ धारायें हैं और वं नाबालिगपन और पंच श्री लक्षमीदत्त दीक्षित ७/२० दरियागंज, देहली वलीपन (Iniuority and guardianship) के से पत्रव्यवहार करें। या मुझे अपने सुझाव लिखें. बारमें है। भाग पांच में पांच धारायें है जिनमे संयक्त जिन्हें में समिति के सामने रख सकू। परिवारके बारेमें विधान हैं। भाग छहमें तीन धारायें डिप्टीगंज, दिल्ली। जाता है।
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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