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स्वाध्यायप्रेमियों के लिये उत्तम अवसर भारतकी राजधानी देहलीमें वीरसेवामन्दिरके तत्वावधानमें समाजके जिनवाणोभक्त । दानी महानुभावोंकी आर्थिक सहायतासे एक सस्ती जैन ग्रन्थमालाकी स्थापना हुई है। प्रन्थमालाका प्रत्येक ग्रन्थ गृहस्थोपयोगी है-स्त्री पुरुष और बच्चोंके लिए उसका लेना बड़ा ही लाभदायक और अत्यन्त आवश्यक है । इसलिये प्रत्येक सद्गृहस्थका कर्तव्य है कि वह इन प्रन्थरत्नोंको खरीदकर जिनवाणीके स्वाध्यायसे आत्म-कल्याण करे। इस ग्रन्थमालासे प्रकाशित ग्रंथोंको प्रायः लागतसे भी कम मूल्यमें दिये जानेकी योजना की गई। अभी नीचे लिखे ग्रन्थ छप रहे हैं। जिन
प्रन्थोंका लागत मूल्य १५) है, वे पूरा सेट लेनेवाले सज्जनोंको लागतसे भी कम मूल्य १२) में और पद्मपुराणको छोड़कर शेष ७ ग्रन्थोंका सेट सिर्फ ७) में देनेका निश्चय किया है। जिन्हें इन ग्रंथरत्नोंकी आवश्यकता हो वे ग्राहकोंमें अपना नाम लिखवाकर और अपना मूल्य भेजकर 'वीरसेवामान्दर श्राफिस ७३३ दरियागंज देहली' से रसीद लेलें। ग्रन्थ जैसे-जैसे तैयार होते
जायेंगे उसी क्रमसे व उनके पास पहुंचते रहेंगे। १ रत्नकरण्डश्रावकाचार-मजिल्द लगभग ८०० पृष्ठ मूल समन्तभद्राचाये, टी०५० सदासुखदासजी ३) २ मोक्षमार्गप्रकाशक-सजिल्द लगभग ५०० पृष्ठ (पं० टोडरमलजो, ग्रन्थकारकी स्वहस्त लिखित
प्रांत परसे संशोधित) २) ३ जैनमहिलाशिक्षामंग्रह-पृष्ठ २४०। ४ सुखकी झलक-पृष्ठ १६० (पूज्यवीजोके प्रवचनोंका सुन्दर संकलन)
12) ५ श्रावकधम संग्रह-पृष्ट २४०(पं० दरयावमिह, श्रावकोपयागी पुस्तक) ६ सरल जैनधर्म-पृष्ठ ५१२ (बालकोपयोगो पुस्तक)
।) ७छहढाला-पृष्ठ १०० (पं०दौलतरामजी व पं० बुधजनजी कृत) ८ पद्मपुराण-(सजिल्द बड़ा साइज) पृष्ठ ८०० (मूल रविपेणाचार्य, टी० पं० दौलतरामजी) ६१) मूल्य भेजने तथा ग्रन्थ मंगानका पता:
मन्त्री-सस्ती ग्रन्थमाला
नं. ३३ दरियागंज, देहली। जिन ग्राहकोंका पेशगी मल्य आजायगा उनमेंसे देहलीवालोंको ग्रन्थ उनके मकानपर भिजवा दिये जायेगे। शेष बाहरके सज्जनोंको ग्रन्थोंका सेट पोप्टेज वी० पी० से भेज दिया जायगा।
अनेकान्तकी सहायताके चार मार्ग (३) उत्सव-विवाहादि दानके अवसरोंपर अने(१) २५), ५०), १००) या इससे अधिक रकम
कान्तका बराबर खयाल रखना और उसे अच्छी
सहायता भंजना तथा भिजवाना, जिससे अनेकान्त देकर सहायकोंकी चार श्रेणियोंमेंसे किसीमें अपना
अपने अच्छे विशपाङ्क निकाल सके, उपहार-ग्रन्थोंनाम लिखना।
की योजना कर सके और उत्तम लेखोंपर पुरस्कार (२) अपनी ओरसे असमोंको तथा प्रजनी
अजन भी दे सके । स्वतः अपनी ओरसे उपहार-ग्रन्थोंकी
नगर संस्थाओंको अनेकान्त फ्री (विना मूल्य) या अर्ध- योजना भी इस मद में शामिल होगी। मल्यमें भिजवाना और इस तरह दूसरोंको अनेकान्त (४) अनेकान्तके ग्राहक बनना, दूसरोंको बनाना के पढ़नेकी सविशेष प्रेरणा करना। इस मदमें और अनेकान्तके लिये अच्छे-अच्छे लेख लिखकर -सहायता देनेवालोंकी ओरसे प्रत्येक बारह रुपयेकी भंजना, लेखोंकी सामग्री जुटाना तथा उसमें प्रकासहायताके पीछे अनेकान्त तीनको फ्री अथवा छहको शित होनेके लिये उपयोगी चित्रोंकी योजना करना अर्धमूल्यमें भेजा जा सकेगा।
और कराना ।-सम्पादक 'अनेकान्त'