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________________ - अनेकान्त [वर्ष १० ___भावार्थ-संवत्....६६ ( ११६६?) में पुरवाल उनके पुत्र शाह.....उनके पुत्र सीढू ये सब प्रतिदिन वंशोत्पन्न शाह श्री लाखण उनके पुत्र वठई उसकी प्रणाम करते हैं। महालक्ष्मी मंगल करे। पत्नी यशकरी उसके पुत्र साढूने विम्ब प्रतिष्ठा (नं० १०३) मूर्तिका शिर नहीं है । करीब ३ फुट ऊ'ची __ (नं० १०१) पद्मासन है । पाषाण काला तथा पालिस चमकदार । शिर नहीं है । शिलालेखके अक्षर है। चिन्ह बलका है। प्रायः मिल गये हैं। करीब ३ फुट ऊची पद्मासन लेख-संवत् १२०३........सुदी १३........जसकर होगी । पाषाण काला और चमकदार है । चिन्ह तत्सुत जसरा तत्पुत्र नायक श्रीराल्हण तस्सुत श्रीजसोधर बेलका है। एते नित्यं प्रणमंति । लेख-श्री गोलापर्वान्वये साहश्री-साहलकके भावार्थ:-सवत् १२०३ के.......सदी १३ को एतयोः सुत साहुश्रीदेवचन्द्र........अस्य सुत सीले एते शाह यशकर उनके पुत्र यशराज उनके पुत्र नायक प्रणमन्ति नित्यम् । सं० १२०३ । श्रीराल्हण उनके पुत्र श्री यशोधरने बिम्ब प्रतिष्ठा ___ भावार्थः-गोलापूर्व वशमें पैदा होने वाले कराई। शाह श्री तथा शाह लंकके इन दोनोंके पुत्र शाह (नं० १०४) देवचन्द्र उनके पुत्र शीलेने संवत् १२०३ में बिम्ब मूर्तिका शिर नहीं है । पाषाण देशी है । करीव प्रतिष्ठा कराई। ११ फुट ऊँची पद्मासन है। चिन्ह हिरणका है। (नं० १०२) पालिस मटयाला है। लेख कुछ अंशोंमें घिस गया यह मूर्ति भी शिरसे खण्डित है। पाषाण काला तथा चमकदार है । चिन्ह सिंहका है। करीब ३ फुट लेख-संवत् १३२० फाल्गुन सुदी १३ शुक्रे............ पद्मासन है। साह, मदन भार्या रोहणी सुत धूने भार्या देवा तत्पुत्र लेख-संवत् १२०७ अषाढ़ बदी । शुक्रे श्री चीर माधव भार्या बाछिणी प्रणमन्ति । बर्द्धमानस्वामि प्रतिष्ठापितो गृहपत्यन्वये साहु श्री भावार्थ:-श्री मदन उनकी पत्नी रोहणी उनके भावा राहणश्चतुर्विधदानेन---पठलितविमुक्रसखशीतलउलक- पुत्र घूने उसकी पत्नी देवा उसके पुत्र माधव उसकी प्रवदितकीतिलतावगठितब्रह्माण्ड,.......... पत्नी बाघिणीने संवत् १३२० के फाल्गुन सुदी १३ वरसुत श्री पलहस्तथा तत्सुत साहु मातनेन पोरवालान्वये को प्रतिष्ठा कराई। साहुवासलस्तस्य दुहिता मातिणी साहुश्री महीपति (नं०१०५) तासुत साहु.......तत्सुत सोडू एते निस्य प्रणमन्ति । मूति देशी पाषाणकी बनी हुई है। करीब शा मंगलं महाश्री। फुट ऊँची पद्मासन है । मूर्ति शिरसे खण्डित है। ____ भावार्थः-श्री वीर वर्द्धमान स्वामीकी प्रतिष्ठा चिन्ह चंद्रका है। कराने वाले-गृहपति वशमें पैदा होने वाले शाह लेख-स'वत् १३३२ अषाढ़ बदी २ साहुपटु........पुत्र श्री राल्हण है । जिनकी कीर्ति चार प्रकारके दानसे सायद भार्या मातिणी प्रणमंति नित्यम् । इतनी प्रवर्द्धित हुई कि ब्रह्मांड भर गया।ऐसे राल्हण भावार्थ:-शाह पटु उनके पुत्र सार्यहद उनकी के पुत्र श्री अल्ह तथा उनके पुत्र शाह मातनने सवत् पत्नी मातिणीने संवत १३३२ के अषाढ़ बदी २ को १२०७ के अषाड़ बदी शक्रवारको प्रतिष्ठा कराई। प्रतिष्ठा कराई। तथा पौरवाल वंशमें पैदा होने वाले शाह (नं० १०६) बासल उनकी पुत्री मातणो तथा शाह श्री महीपति २ फट ऊंची पद्मासन है। काले
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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