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________________ किरण ३ ] श्रहारक्षेत्र के प्राचीन मूर्तिलेख ( नं० ८१ ) यह मूर्त्ति देशी पाषाणकी बनी है। चिन्ह सिंह का है । करीब १|| फुट पद्मासन है । पालिश कुछ मटिया रंगका है। लेख- सम्वत् १२१३ अषाद सुदी २ साहु रामचन्द्र भार्या पल्हा -- प्रणमन्ति । भावार्थ—–सं० १२१३ के अषाढ़ सुदी २ को शाह रामचन्द्र तथा उनकी पत्नी पल्हाने बिम्बप्रतिष्ठा कराई । ( नं० ८२ ) मूर्ति करीब १० इचके लगभग खगासन होगी । पाषाण देशी है । पालिश वगैरह नहीं है । चिन्ह कोई नहीं है। पत्थर कुछ लाल है । लेख – सम्वत् १२३७ मार्ग सुदी २ सुक्रे शाहु........ प्रणमन्ति नित्यम् । भावार्थ - यह मूर्त्ति सं० १२३७ के अगहनमुदी २ को प्रतिष्ठित हुई । नोट - मूर्तिके प्रतिष्ठापकका नाम नहीं पढ़ा जा सका । ( नं० ८३ ) मूर्त्तिकशिर नहीं है । घड़ भी नहीं है । करीब २ फुट ऊंची पद्मासन है । चिन्ह बैलका है । पाषाण काला तथा चमकदार है । ६६ नित्यम् । भावार्थ - सम्वत् १२०७ के माघवदी ८ को प्रतिष्ठित हुई । भावार्थ — गृहपति वंशमें पैदा होनेवाले शाह कुलधर उनके पुत्र ..... ने सम्वत् १२१० के वैशाख सुदी १३ को इस प्रतिबिम्बकी प्रतिष्ठा कराई । ( नं० ८४ ) लेखमें सिर्फ सम्वत् पढ़ा जासका । बाकी हिस्सा टूट मूर्तिका सिर्फ आसनका टुकड़ा उपलब्ध है । गया है । पाषाण काला है । लेख - सम्वत् १२२५ भावार्थ - इस मूर्तिकी प्रतिष्ठा सम्बत् १२२५ में हुई । ( नं० ८६ ) मूर्त्तिका शिर नहीं है। तथा धड़का दायां भाग नहीं है। अतः लेख आधा ही मिल पाया । करीब २ फुट ऊँची पद्मासन है । पाषाण काला तथा पालिश चमकदार है । चिन्ह बैलका है । लेख - सम्वत् १२०६ वैशाखसुदी १३ पंडित विक्रमशिष्येन ठक्कुरददेसुतेन पद्मसिंहेब पुण्याय कारापितेयम् । भावार्थ- पडित विक्रमके शिष्य ठक्कुर ददे उनके पुत्र पद्मसिंहने संवत् १२०६ के वैशाख सुदी १३ को प्रतिष्ठा कराई । ( नं० ८७) लेख - १२०७ माघ वदी म साहु - प्रणमन्ति मूत्तिका सिर नहीं है। आसन विशाल । करीब ३ फुट ऊंची पद्मासन है । पाषाण काला है। पालिश चमकदार है । चिन्ह नहीं है । लेख – सं० १२०७ माघवदी ८ बाणपुरे गृहपत्यन्वये नोट- प्रतिष्ठापकका नाम वंश वगैरह घिस कोच्छल गोत्रे साहुरुद्र - तत्सुताः पाणि मोल्लाया- तथा गया है । अतः पढ़ा नहीं गया । साहु मावली मले पुत्र हरिषेण किये तत्पु कारापितेयं नित्यं प्रणमन्ति । ( नं० ८४ ) सिर्फ एक छोड़कर बाकी हिस्सा नहीं है। करीब ३ फुट ऊँची पद्मासन है । पाषाण काला है। पालिश चमकदार है। भावार्थ - वानपुर में गृहपति वंशमें पैदा होने वाले कोच्छल गोत्र में शाह रुद्र उनके पुत्र पाझिण मोल्लया और शाह माहवली रैमले पुत्र हरिषेण लेख---सम्वत् १२१० वैशाख सुदी १३ गृहपत्यन्वये उनके पुत्र झिणेने इस प्रतिबिम्बकी १२०७ के साहुकुलधर सुत..... माघदीको प्रतिष्ठा कराई ।
SR No.538010
Book TitleAnekant 1949 Book 10 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1949
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size30 MB
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