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वीरसेवामन्दिर सरसावाके प्रकाशन
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१ अनित्य-भावना
श्रा० पद्मनन्दिकृत भावपूर्ण और हृदयग्राही महत्वकी कृति, साहित्य-तपस्वी पंडित जुगलकिशोरजी मुख्तारके हिन्दी-पद्यानुवाद और भावार्थ सहित । मूल्य ।) २ आचार्य प्रभाचन्द्रका तत्त्वार्थसूत्र
मरल-मंक्षिप्त नया सूत्र-ग्रन्थ, पं० जुगलकिशोरजी मुख्तारकी सुबोध हिन्दी-व्याख्यासहित । मूल्य ।) ३ न्याय-दीपिका
(महत्वका नया संस्करण)-अभिनव धर्मभूपण-यति रचित न्याय-विषयकी सुबोध प्राथमिक रचना । न्यायाचार्य पं० दग्बारीलाल कोठिया द्वारा सम्पादित, हिन्दी अनुवाद, विस्तृत (१०१ पृष्ठकी) प्रस्तावना, प्राक्कथन, परिशिष्टादिसे विशिष्ट, ४०० पृष्ठ प्रमाण, लागत मूल्य ५) । इसकी थोड़ी ही प्रतियाँ शेप रही है। विद्वानो और छात्रोने इस मंस्करणको खूब पसन्द किया है। शीघ्रता करे । फिर न मिलने पर पछताना पड़ेगा।
४ सत्साधु-स्मरणमङ्गलपाठ___अभूतपूर्व सुन्दर और विशिष्ट सङ्कलन, सङ्कायना पंडित जुगलकिशोरजी मुख्तार । भगवान महावीरसे लेकर जिनसेनाचाय पर्यन्त के २१ महान जैनाचार्याक प्रभावक गुग्णस्मरणो से युक्त । मूल्य ॥) ५ अध्यात्म-कमल-मार्तण्ड
पञ्चाध्यायी तथा लादीमंहिता आदि ग्रन्थो के रचयिता पंडित राजमल्ल-विरचित अपूर्व आध्यात्मिक कृति, न्यायाचार्य पं० दरबारीलाल कोठिया और पं० परमानन्दजी शास्त्रीक मरल हिन् । अनुवादादि-महिन तथा मुग्न्तार पण्डित जुगलकिशारजी-द्वारा लिग्वित विस्तृत प्रस्तावना से विशिष्ट । मूल्य शा) ६ उमास्वामिश्रावकाचार-परीक्षा
मुब्तार श्रीजुगलकिशारी-द्वारा लिखित ग्रन्थ-परीक्षाओका इतिहाम-गहित प्रथम अश। मूल्य चार आने। ७ विवाह-समुद्दश्य
प. जुगलकिशारजी मुख्तार-द्वारा रचित विवाहके रहस्यको बतलानेवाला और विवाहोंक अवमरपर वितरण करने योग्य सुन्दर कृति। ।।)
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वीरसेवामन्दिर में मभो साहित्य प्रचारकी दृष्टिले नैयार किया जाता है, व्यवमायके लिये नहीं । इसीलिये काग़ज़, छपाई आदिके दाम बढ़ जानेपर भी पुस्तकोका मूल्य वही पुराना (सन १९४३का)
रखा है। इतनेपर भी १०) से अधिककी पुस्तकोंपर उचित कमीशन दिया जाता है।
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प्रकाशन विभाग–वीरसेवामन्दिर, सरसावा (सहारनपुर)
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