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________________ Regd. No. A-731 ArrogreRRERGES AgreAgreARE शेर-ओ-शायरी Baw@RGEMBERa@GAUREGERMOGHEROIRREGAR [उर्दू के सर्वोत्तम १५०० शेर और १६० नम] प्राचीन और वर्तमान कवियोंमें सर्वप्रधान लोक-प्रिय ३१ कलाकारोंके मर्मस्पर्शी पद्योंका सङ्कलन और उर्दू-कविताकी गति-विधिका आलोचनात्मक परिचय प्रस्तावना-लेखक हिन्दी-साहित्य सम्मेलनके सभापति महापंडित राहुल सांकृत्यायन लिखते हैं "शेरोशायरी"के छ सौ पृष्ठोंमे गोयलीयजीने उर्दू - कविताके विकास और उसके चोटीके कवियोंका काव्य-परिचय दिया । यह एक कवि-हृदय, माहित्य-पारखीके आधे जीवनके परिश्रम और साधनाका फल है । हिन्दीको ऐसे ग्रन्थोंकी कितनी आवश्यकता है. इसे कहनेकी आवश्यकता नहीं । उर्दू-कवितासे प्रथम परिचय प्राप्त करनेवालोके लिये इन बातोका जानना अत्यावश्यक है। गोयलीयजी जैसे उर्द-कविताके मर्मज्ञका ही यह काम था. जो कि इतने मंक्षेपमें उन्होंने उर्दू 'छन्द और कविता"का चतुमुखीन परिचय कराया । गोयलीयजीके संग्रहकी पक्ति-पंक्तिसे उनकी अन्तदृष्टि और गम्भीर अध्ययनका परिचय मिलता है । मै तो ममझता हूँ इस विषयपर ऐसा ग्रन्थ वही लिख सकते थे।" कर्मयोगीके सम्पादक श्रीसहगल लिखते है "वर्षोंकी छानबीनके बाद जो दुर्लभ सामग्री श्रीगोयलीयजी भेट कर रहे हैं इसका जवाब हिन्दी-संसारमे चिराग़ लेकर ढूँढनेसे भी न मिलेगा. यह हमारा दावा है ।" सुरुचिपूर्ण मुद्रण, मनमोहक कपड़ेकी जिल्द पृष्ठ संख्या ६४० -मूल्य केवल आठ रुपए भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड, बनारस GORIBRARRETURMERSTARROTHERRIERaod प्रकाशक-पं० परमानन्द जैन शास्त्री भारतीय शानपीठ काशीके लिये श्राशागम खत्री द्वारा गेयत्न प्रेम महारनपुरम मटित
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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