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कान्त
भाद्रपद. संवत् २००५ :: सितम्बर, सन् १९४८
वर्ष है
विधिका विधान
किरण
जीवनकी औ' धनकी, आशा जिनके सदा लगी रहती । विधिका विधान सारा, उनहीके अर्थ होता है।
प्रधान सम्पादक जुगलकिशोर मुख्तार
सञ्चालक ब्यवस्थापक भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
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सह सम्पादक मुनि कान्तिमागर दरबारीलाल न्यायाचार्य अयोध्याप्रसाद गोयलीय डालमियानगर (विहार)
विधि क्या कर सकता है, उनका जिनकी निराशता आशा ? भय -काम-वश न होकर, जगमे स्वाधीन रहते जो ॥
'युगवीर
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सस्थापक-प्रवर्तक वीरसेवामन्दिर, सरसावा
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