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________________ ॐ अहम् तस्व-सपा विश्वतत्व-प्रकाशक वार्षिक मूल्य ५) MAHARASHTRAITESTRICTLimitunesma MINTOHINITIATIOGRAMINATANMamtammingRHINITIHA एक किरणका मूल्य नीतिविरोधष्वंसीलोकव्यवहारवर्तकः सम्यक् । परमागमस्य बीज भुवनेकगुरुर्जयत्यनेकान्तः। वर्ष ९ । किरण ८ । वोरमेवामन्दिर (समन्तभद्राश्रम), सरसावा, जिला महारनपुर श्रावणशुक्ल, वीरनिर्वाण-संवत २४७४, विक्रम संवत २००५ अगस्त १९४८ समन्तभद्र-भारतीके कुछ नमूने युक्यनुशासन मियोऽनपेक्षाः पुरुषार्थ हेतु शीततारूपमें व्यवस्थित भी नहीं होती । परस्परनिर पेक्ष मत्वादिक धर्म अथवा अवयव पुरुषार्थहेतुतारूपनौशा न चांशी पृथगस्ति तेभ्यः। से उपलभ्यमान नहीं हैं, अतः पुरुषार्थहेतुतारूपसे परस्परेक्षाः पुरुषार्थ हेतु व्यवस्थित नहीं होते। यह युक्त्यनुशासन प्रत्यक्ष और दृष्टा नयास्तद्वदसि-क्रियायाम् ॥५०॥ आगमसे अविरुद्ध है।' ‘(वस्तुको अनन्तधर्मविशिष्ट मानकर यदि यह जो अंश-धर्म परम्पर-सापेक्ष हैं वे पुरुषार्थके कहा जाय कि वे धम परस्पर-निरपेक्ष ही हैं और धर्मी हेतु हैं क्योंकि उस रूपमें देखे जाते हैं जो जिस उनसे पृथक् ही है तो यह कथन ठीक नहीं है. क्योंकि) रूपमे देखे जाते है वे उसी रूपमे व्यवस्थित होते हैं, जो अंश-धर्म अथवा वस्तुके अवयव परस्पर-निरपेक्ष जैसे दहन (अनि) दहनताके रूपमें देखी जाती है हैं वे पुरुषार्थके हेतु नहीं हो सकते; क्योंकि उस रूपमें और इसलिये तद्रूपमें व्यवस्थित होती है; परस्परउपलभ्यमान नहीं है जो जिस रूपमें उपलभ्यमान सापेक्ष अंश स्वभावतः पुरुषार्थहेतुतारूपसे देखे जाते नहीं वह उस रूपमें व्यवस्थित भी नहीं होता, जैसे हैं और इसलिये पुरुषार्थहेतुरूपसे व्यवस्थित हैं। यह अग्नि शीतताके साथ उपलभ्यमान नहीं है तो वह स्वभावकी उपलब्धि है।'
SR No.538009
Book TitleAnekant 1948 Book 09 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1948
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size35 MB
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