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Regd. No. A-731
Pager@ greereaERBreangrewar
कीरसेकामन्दिर सरसाकाके प्रकाशन
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१ अनित्य-भावना
४ सत्साधु-स्मरणगंगलपाठआ० पद्मनन्दिकृत भावपूर्ण और हृदयः ।।
अभूतपूर्व मुन्दर और विशिष्ट संकलन, प्राही महत्वकी कृति, साहित्य-तपस्वी पंडित
संकलयिता पंडित जुगलकिशोरजी मुख्तार,
भगवान महावीरसे लेकर जिनसेनाचार्य पर्यन्त जुगलकिशोरजी मुख्तारकं हिन्दी-पद्यानुवाद
क२१ महान जैनाचार्योक प्रभावक गणस्मरणों और भावार्थ महित । मूल्य ।)
में युक्त । मूल्य ॥ M२ आचार्य प्रभाचन्द्रका तत्त्वार्थसूत्र- ५ अध्यात्म-कमल-मात एड--.
पञ्चाध्यायी तथा लाटीहिता आदि ग्रन्थों मरल-मंक्षिप्त नया सूत्र-प्रन्थ, प० जुगल
के रचयिता ५० राजमल-विचित अपूर्व " किशोरजी मुख्तारकी सुबोध हिन्दी-व्याग्या
आध्यात्मिक कृति, न्यायाचार्य पं० दरबारीलाल साहिन । मृल्य।)
कोठिया और पं० परमानन्दजी शास्त्रीक मरल ३ न्याय-दीपिका
हिन्दी अनुवादादि-सहित तथा मुग्नार पंडिन
जगाकशोरजी-द्वाग लिखित विस्तृत प्रम्ना(महत्वका नया मंस्करण)- अभिनव बनास विशिष्ट । मूल्य धर्मभूपण-यात रचित न्याय-विषयकी सुबोध र प्रार्थामक रचना. त्याचार्य पं० दरबारीलाल । ६ उमास्वामिश्रावकाचार-पराक्षाकोठिया द्वारा सम्पादित, हिन्दी अनुवाद,
। मुख्तार श्रीजुगलकिशोरजी-द्वारा लिखित विस्तृत (१०१ पृष्ठकी) प्रम्नावना. प्राककथन,
। प्रन्थ-परीक्षाओंका इतिहास-महित प्रथम अश । परिशिष्टादिसे विशिष्ट, ४०८ पृष्ठ प्रमाण, लागन
मूल्य ।) १२ मूल्य ५) । इमकी थोड़ी ही प्रनियाँ शेष रही है। । ७ विवाह-ममुद्दे श्य
विद्वानों और छात्रोंन इम मम्करणको सव ५० जुगलकिशोरजी मुख्तार-रचित विवाह पमन्द किया है । शीघ्रना करे। फिर न मिलने के रहस्यको बतलाने वाली और विवाहोंक श्रवपर पछताना पड़ेगा।
| मरपर वितरण करने योग्य मुन्दर कृति । |
वीग्मेवान्दिग्म जो साहित्य नैयार किया जाता है वह पचारकी टिम नैयार होता है।
गवमायके लिये नहीं और इसीलिये कागज, छपाई आदिके दाम बढ़ जानपर भी पुस्तकोंका मूल्य वही पुराना (मन् १९४३का)
रखा है। इतनेपर भी १०) संज्यादाकी पुस्तकोपर चिन कमीशन दिया जाता है।
प्रकाशन विभाग-वीरसेवामन्दिर, सरसावा जिला सहारनपुर KharatIRBIRVEKSHAKARMERRORSARMAGAR काश+--- भान Im Hi Hitem.
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