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________________ गोम्मटसार और नेमिचन्द्र [सम्पादकीय ] ग्रन्थका सामान्य परिचय और महत्व की वस्तु है; क्योंकि इससे अनेक विशेष बातें मालूम हो सकता है।" 'गोम्मटसार' जैसमाजका एक बहुत ही सुप्रसिद्ध सिद्धान्त अन्थ है, जो जीवकाण्ड और इस ग्रन्थका प्रधानतः मूलाधार आचार्य पुष्पदन्तकर्मकाण्ड नामक दो बड़े विभागांम विभक्त है और भूतलिका पट्खण्डागम, वीरसेनकी धवला टीका व विभाग एक प्रकारसं अलग-अलग ग्रन्थ भी समझ और दिगम्बरीय प्राकृत पञ्चमंग्रह नामक ग्रन्थ जान है, अलग-अलग मुद्रित भा हुए हैं और इसीस है। पश्चसंग्रहकी सैकड़ों गाथाएँ इसमें ज्यों-की-त्यों वावयमचीम उनक नामकी (गाजाक, गांक-रूपस) तथा कुछ परिवतनके साथ उद्धृत है और उनमें स्पष्ट सूचना साथम कर दी गई है। जीवकाण्डकी से बहतमी गाथाएँ ऐसी भी हैं जो धवलामें ज्यों-कीअधिकार-संख्या २० तथा गाथा-संग्ख्या ७३३ है और त्यां अथवा कुछ परिवर्तनके साथ 'उक्तञ्च' आदि कमाण्ड की अधिकार-संग्ख्या ५ तथा गाथा-संख्या रूपसे पाई जाती है । साथ ही पटखण्डागमके बहतसे ९७. पाई जाती है। इस समृचं ग्रन्थका दसरा नाम सूत्रोंका मार खींचा गया है । शायद पट्खण्डगमके 'पासंग्रह है, जिसे टीकाकारोने अपनी टीकाश्रम जीवस्थानादि पाँच खण्डोंके विपयका प्रधानतासे व्यक्त किया है । यद्यपि यह ग्रन्थ प्रायः संग्रह ग्रन्थ मार संग्रह करनेके कारण ही इसे 'पञ्चमंग्रह' नाम ६, जिमम शब्द और अर्थ दोनोष्ट्रियांसे सैद्धान्तिक दिया गया हो। विपयोका मग्रह किया गया है, परन्तु विषयक ग्रन्थके निर्माणमें निमित्त चामुण्डराय सकलनादिक यह अपनी खास विशंपता रखता है और इसमें जीव तथा म-विषयः करणानुयागवे 'गोम्मट' प्राचन अन्थीका अच्छ। मदिर सार खींचा गया । यह ग्रन्थ प्राचाय नामचन्द्र-द्वारा चामुण्डरायके इसासे यह विद्वानोंको बडा ही विय तथा मांचकार अनुरोध अथवा प्रश्न पर रचा गया है, जो गङ्गवंशी मालम होता है; चुनाचे प्रसिद्ध विद्वान पंडित राजा राचमल्ल के प्रधानमन्त्री एवं सेनापति थे, सुखलाल जीन अपने द्वारा सम्पादित और अनुवादित अजितसनाचायक शिष्य थे और जिन्होंने श्रवणचतुर्थ कमनन्थको प्रस्तावना, श्वेताम्बरीय कम बल्गोलम बाहुबलि-स्वामीकी वह मुन्दर विशाल माहित्यकी गाम्मटमार के साथ तुलना करते हुए और एवं अनुपम भूति निमाण कराई जो संसारक चतुर्थकमान्य सम्पमा विपयका प्राय: जीव अद्धत पदाथों में परिगणित है और लोक गोम्मटेश्वरकोरडा पलित बतलाना , गाम्मट मारकी उसके जेसनामा म प्रसिद्ध है। विषय बगान, विपय-विभाग और प्रत्येक विषय मर जगी प्रशंसा की है और साथ ही चामुण्डरायका दमग नाम गाम्मट' था और निःम दाम पर यह बतलाया है कि-"चौथ काम- यह उनका खाम घरज नाम था, जा मराठा तथा प्र या पाटियोंक लिया जीवाण्ड ५५. खास दखन पनडी भाषामें प्रायः उत्तम. मुन्दर, अफ्षिक एवं
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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