SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 437
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय और लेखक विषय और लेखक वीतरागस्तोत्र (कल्याणकीर्तिकृत)-[संपादक २३३ सम्पादकीय वक्तव्य (भारतकी स्वतंत्रता, उसका वीतरागस्तोत्र (पद्मनन्दिकृत)-[सम्पादक ३५५ झण्डा और कर्त्तव्य) ३८३ वीरके सन्देशकी उपेक्षा-[प्रभुलाल जैन 'प्रेमी' १९३ सर राधाकृष्णनके विचार वीर-वाणीकी विशेषताएँ और संसारको उसकी "संजद" पदके सम्बन्धमें अकलकदेवका महत्व. अलौकिक देन-[बा.दशरथलालजैन कौशल १२२ पूर्ण अभिमत-न्या. पं. दरबारीलाल जैन ८३ वीर-सन्देश-पं. व्रजलाल जैन, विशारद १९५ संस्कृत कमेप्रकृति-सम्पादक .... . वीरसेनस्वामीके स्वर्गारोहण - समयपर एक साम्प्रदायिक दंगे और अहिंसा-[बा. राज दृष्टि-[पं. दरबारीलाल जैन, कोठिया १४४ कुमार जैन .... .... २३५ वीरसेवामन्दिरमें वीरशासनजयन्तीका उत्सव- साहित्य-परिचय और समालोचन[पं. दरबारीलाल जैन, कोठिया .... ४२८ १०४, २१३, २९५, ४२९, ४५८ वीरोपदेश-[पं. लोकमणि जैन .... १०२ साहित्यप्रेमी श्रीअगरचंदजी नाहटा-[श्री वैज्ञानिक युग और अहिंसा-[श्रीरतनजैन पहाड़ी ३२६ हजारीमल बाँठिया श्रीजम्बूजिनाष्टकम् (कविता)-[श्री पंडित स्व० बाबू सूरजभान जी वकील-[श्रीदौलतदरबारीलाल जैन, कोठिया .... राम 'मित्र' श्रीधर या विबुध श्रीधर नामके विद्वान्-[पं. हम आजादीके द्वार खड़े हैं (कविता)-[पं. परमानन्द जैन, शास्त्री .... ४६२ काशीराम शर्मा .... .... १५३ श्रीधवलका रचनाकाल-[श्री प्रफुल्लकुमार मोदी ३७ हमारी यह दुर्दशा क्यों ?-[सम्पादक १:९ सचा कर्मयोगी (कविता)-[श्रीमाधव शुक्ल ४७ हरिषेणकृत अपभ्रंश 'धर्मपरीक्षा'-[प्रो. ए. समन्तभद्रभारतीके कुछ नमूने (युक्त्यनु एन. उपाध्ये शासन)-[सम्पादक १४५,२२१,२९७,३६५,४३३ हृदय है बना हुआ फुटबाल (कविता)सम्पादकीय __.. २१५, ४६९ ['युगवीर' वीरसेवामन्दिरकी सहायता प्राप्ति गत किरण (१८-११) में प्रकाशित सहायताक बाद वीरसंवामन्दिर सरसावाको जो सहायता प्राप्त हुई है वह निम्न प्रकार है, जिसके लिये दातार महानुभाव धन्यवादके पात्र हैं:१०१) दि. जैन पुरुषसमाज व स्त्रीसमाज सरसावा (दशलक्षणपर्वके उपलक्षमें) द्वारा पं० दरबारीलाल कोठिया। ५०) बाबू नन्दलालजी सोनी मालिक फर्म चम्पालाल छोगालालजी (फर्मके पिछले दानमेंसे)। ११) ला० विशेसुरनाथ मृलचंदजी, टिम्बरमर्चेटस, कानपुर (दशल उपलक्षमें संभवतः गोलकों द्वारा प्राप्त)। १०) श्रीदि० जैनसमाज बाराबड्की (संभवतः दशलक्षणपर्वके उपलक्ष में), द्वारा कन्हैयालालजी जैन, बाराबड्डी। ५) श्रीदि० जैन पञ्चायत गया (दशल के उपलक्षमें) द्वारा मंत्री मोहनलालजीके । -अधिष्ठाता 'वीरसेवामन्दिर' मुख्तार साहबकी ७१वीं वर्षगांठ जैन-साहित्य और इतिहासके महान् सेवक तथा वीरसेवामन्दिरके संस्थापक व अधिष्ठाता श्रीमान् पं० जुगलकिशारजी मुख्तार अगहन (मङ्गसिर) शुक्ला एकादशी ता. २३ दिसम्बरको अपने ७०वें वर्षको पूर्ण करके ७१ वर्षमें प्रविष्ट हुए हैं। अपनी इस वर्षगाँठके अवसरपर मुख्तार साहबने जहाँ कुछ नियम लिये हैं वहाँ २५५) रु० का दान भी दिया है। यह दान १३ तीर्थादि धर्मस्थानों ११ जैन पत्रों और २६ जैनसंस्थाओंको समानरूपसे दिया गया है, जिनके नाम अगली किरणमें प्रकट किये जायेंगे । वर्षगाँठके इसअवसरपर दिये गये प्रीतिभोजके समय आपके दीर्घायुष्यकी शुभकामनाएँ की गई और कितनी ही शुभभावनाएँ गाई गई। -दरबारीलाल जैन कोठिया - -
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy