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________________ विषय-सूची ४३३ १-समन्तभद्र-भारतीके कुछ नमूने (युक्त्यनुशासन)-[सम्पादक २-रावण-पार्श्वनाथ-स्तोत्र-[सम्पादक ३-परख (कहानी)-[स्व० श्री 'भगवत्' जैन] ४-संस्कृत 'कर्मप्रकृति'-[सम्पादक ५-मेरी रणथंभौर-यात्रा-[श्रीवरलाल नाहटा] ६-रद्दीमें प्राप्त हस्तलिखित जैन-अजैन ग्रन्थ-[सम्पादक] ७-दिगम्बर जैन आगम-[आ० बलदेव उपाध्याय एम० ए०] -त्रिभुवनगिरि व उसके विनाशके सम्बन्धमें विशेष प्रकाश-[श्रीअगरचन्द नाहटा] ९-तेरह काठिया-सम्बन्धी श्वे० साहित्य-[श्रीअगरचन्द नाहटा] १०--साहित्य-परिचय और समालोचन ११-श्रीधर और विवुध श्रीधर नामके विद्वान्-(पं० परमानन्द जैन, शास्त्री) १२-रत्नकरण्डक-टीकाकार प्रभाचन्द्रका समय-(न्या० पं० दरबारीलाल जैन, कोठिया) १३-सम्पादकीय वक्तव्य (अनेकान्तकी वर्ष समाप्ति, आदि) १४-अनेकान्तके आठवें वर्षकी विषय-सूची ४३७ ४३९ ४४१ ४४४ ४४९ ४५३ ४५६ ४५८ ४६२ ४६६ विलम्बादिकी सूचना इस वर्षमें एक बार पहले-किरण नम्बर ६-७ के अवसरपर-विलम्बकी शीघ्रपूर्ति होती हुई न देखकर महीनोंके पूर्वक्रमको छोड़कर नया क्रम अपनाया गया था इस बार भी उसी दृष्टिस वैसा किया गया है अर्थात पिछली संयुक्त किरण नम्बर १०-११, जिसपर मार्च-अप्रैल के महीने पड़े थे, जब २२ सितम्बरको प्रकाशित हुई और वह पाठकोंमें कुछ सन्देह उत्पन्न करने लगा तब इस किरणपर मईका महीना न डाल कर अक्तूबरका महीना डाला गया था और यह श्राशा की गई थी कि अक्तूबरमें यह किरण प्रकाशित होजायगी, क्योंकि मैटर २२ सितम्बरसे ही प्रेसको दे दिया था परन्तु खेद है कि एक फार्म ( पेज) का कम्पोज होनेके बाद ही सहारनपुरमें साम्प्रदायिक दङ्गा फिसाद शुरू होगया, काय लग गया, यातायात रुक गया और सारा वातावरण एकदम क्षुब्ध तथा सशङ्क होगया। इसमें अक्तबरमें किरण प्रकाशित नहीं हो सकी और इसलिये यह किरण दिसम्बरकं अन्तमें प्रकाशित होरही है, जिसका हमें खेद है । महीनोंका क्रम छोड़नेके दोनों अवसरोंपर किरणोंके क्रमको बराबर ज्यों का त्यों कायम रक्खा गया है । अतः पाठक एवं ग्राहक किरणांके क्रमसे ही इस वर्षकी गणना करें-महीनोंके क्रम भङ्ग अथवा उनके छूट जानेसे बीच में किसी किरणका छूट जाना न समझे। और उन महीनोंकी किरणें भेजनेको लिखने का कोई कष्ट न उठावें, किरणें पूरी १२ होगई हैं, जिनमें कुछ अलग अलग और कुछ मंयुक्त (दोदो मिली हुइ) हैं। अगले वर्षकी योजनाके सम्बन्ध में सम्पादकीय वक्तव्यको इसी किरणमें पढ़ना चाहिये। -व्यवस्थापक
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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