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________________ किरण १०-११ ] यह पत्र श्रीभारत जैन महामण्डलके गत अधिवेशनसे उसके प्रमुख पत्रके रूपमें प्रकट हुआ है । श्रीभारत जैन महामण्डल के ध्येयके अनुसार इस पत्रका भी ध्येय अखण्ड जैन जागृति तथा सामाजिक एवं साहित्यिक समन्वय करना है जैसाकि उसके मुखपृष्ठ से विदित है । हमारे सामने पत्रका ४-५ संयुक्ताङ्क है। इसमें मुख्यतः डायरेक्टरी और उसका महत्व बतलाकर वर्धा जिलेकी जैन डायरेक्टरी दीगई है, जिसमें वर्धा जिले भर की तीनों तहसीलोंका गरणनादिके साथ परिचय कराया गया है। कामना है पत्र अपने उद्देश्य में सफल 1 साहित्य परिचय और समालोचन ८ - नया जीवन - प्रधान सम्पादक, श्रीकन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' । प्रकाशक, विकास लिमिटेड सहारनपुर । मूल्य, इस संख्याका बारह श्राना और बारह संख्याओं (१००० पृष्ठ) का एक साथ १०) रु० । प्रभाकरजीकी चुभती लेखनी पाठक परिचित हैं, उन्हीं के प्रधान सम्पादकत्व में यह मासिक पत्र हाल में प्रकट हुआ है, जिसका हमारे सामने दूसरा अ है। इसमें साहित्यिक, समाज सुधारक और देशको वर्तमान दशाके प्रदर्शक है, पठनीय लेखोंका अच्छा सुन्दर संग्रह हैं । सफाई-छपाई भी अच्छी है । ९–तरुण जैन-सम्पादक, भंवरलाल सिंधीव चन्दनमल भूतोंडिया । मूल्य, ५) । प्राप्तिस्थान, 'तरुण जैन' ३, कामर्शियल विल्डिङ्गस, कलकत्ता । तरुण जैन सङ्घ कलकत्ताका यह मासिक प्रमुख पत्र है । इसमें जहाँ सुधार और आलोचनाकी तीक्ष्णता है वहाँ व्यर्थकी छींटाकशी और पक्षकी भी कमी नहीं है । हम चाहते हैं कि पत्र निष्पक्ष और श्रनाक्षेपकी भाषा में जैन सामाजिक सुधारों और आलोचनाओं को प्रस्तुत करे । इससे उसका क्षेत्र व्याप्य न रहकर व्यापक बन सकता है । हम उसकी इस दिशा में सफलता चाहते हैं। १० - अशोक - श्राश्रमका चतुर्थ वार्षिक विवरण - प्रकाशक, श्रीधर्मदेव शास्त्री । व्यवस्थापक, अशोकआश्रम, कालसी, देहरादून । ४३१ पण्डित श्रीधर्मदेव शास्त्रीने कालसी, देहरादून और जौनसार आदिकी पहाड़ी जनताकी सेवा करने के लिये चार वर्ष पूर्व अशोक - श्राश्रमकी स्थापना की थी । उसीकी यह चतुर्थवर्षीय रिपार्ट है। इस रिपोर्टसे मालूम होता है कि शास्त्रीजीने उक्त आश्रमके अन्तर्गत गान्धी गुरुकुल और माता कस्तूरवा गान्धी महिला औषधालय ये दो संस्थाएँ खोल रखी हैं और उनके द्वारा पहाड़ी जनताको शिक्षित, सुसंस्कृत और उन्नत बना रहे हैं । हम उनके इस पवित्र सेवाकार्य की मुक्तकण्ठले प्रशंसा करते हुए उसकी प्रगतिकामना करते हैं । ११ - लोक-जीवन (मासिक) – सम्पादक, श्री यशपाल जैन बी० ए०, एल- एल० बी० । संरक्षक, श्रीजैनेन्द्रकुमार । वार्षिक मूल्य ६ ) | प्राप्तिस्थान, 'लोकजीवन' कार्यालय ७/८ दरियागञ्ज, दिल्ली । जैसाकि पत्रके नामसे प्रकट है, यह लोकके नैतिक जीवन के अध्युदयका प्रदर्शक मासिक पत्र है । हमारे समक्ष वर्ष दोका दूसरा श्र है । इसमें विख्यात उत्तम लेखों का चयन है। एक परिचय लेख तो बिल्कुल अनावश्यक है उसका सर्वसाधारण के लिये कोई उपयोग नहीं है। प्रेमी अभिनन्दन ग्रन्थकं यशस्वी सम्पादक बा० यशपालजीके सम्पादकत्व में अब प्रकट हुआ है इसलिये आशा है कि यह अपने उद्देश्य में अवश्य सफल होगा । हमारी शुभ कामना है । १२- आत्म-धर्म (मासिक पत्र ) – सम्पादक श्री रामजी माणेकचन्द दोशी, वकील, प्रकाशक श्री जमनादास मारणेकचन्द रवाणी, आत्मधर्म कार्यालय मांटा आँकडिया, काठियावाड, वार्षिक मूल्य ३) यह अध्यात्मका उच्चकोटिका मासिक पत्र है । इसमें पूज्य कानजी स्वामीके अध्यात्मिक प्रवचनों संग्रह रहता है । जो लोग विद्वत्परिपके गत अधिवेशन में सुवर्णपुरी गये थे उन्हें मालूम है कि वहाँका सारा वातावरण कितना आध्यात्मिक और शान्त है । उसी वातावरणकी उद्दीप्त रश्मियाँ इस पत्र
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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