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________________ विषय-सूची १ - समन्तभद्र- भारती के कुछ नमूने ( युक्तयनुशासन ) - [ सम्पादक ] २ - ऐतिहासिक घटनाओंका एक संग्रह - [ सम्पादक ] ३६५ ३६९ ३७४ ३७५ ३७६ ३८३ ३८९ ३९५ ३९८ ४०० ४०२ ४०८ **** १२ – रक्षाबन्धनका प्रारम्भ - [पं० बालचन्द्र जैन, साहित्य-शास्त्री, बी० ए० ] १३ – रत्नकरण्ड और आप्तमीमांसाका एककर्तृत्व प्रमाणसिद्ध है - [ न्या० पं० दरबारीलाल कोठिया ] ४१५ १४ – वीरमेवामन्दिर में वीर शासन - जयन्तीका उत्सव - [प० दरबारीलाल जैन, कोठिया ] १५ - साहित्यपरिचय और समालोचन - [पं० दरबारीलाल जैन, कोठिया ] ४२८ ४२९ ३ – आचार्य माणिक्यनन्दि० (परिशिष्ट ) - [पं० दरबारीलाल जैन, कोठिया ] ४ - जैनगुण-दर्पण (कविता) - [ जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' ] ५ – महाकवि हरिचन्दका समय - [प० कैलाशचन्द्र जैन, शास्त्री ] ६ – सम्पादकीय वक्तव्य - भारतकी स्वतन्त्रता, उसका झण्डा और कर्तव्य ७ – महाकवि सिंह और प्रद्युम्नचरित - [पं० परमानन्द जैन, शास्त्री ] ८- तेरह काठिया - [ बा० ज्योतिप्रसाद जैन, एम० ए० ] ९ - जोगिचर्या - [पं० परमानन्द जैन, शास्त्री ] १० – कविवर लक्ष्मण और जिनदत्तचरित - [पं० परमानन्द जैन, शास्त्री ] ११ – कविवर बनारसीदास और उनके ग्रन्थोंकी हस्तलिखित प्रतियाँ - [ मुनि कान्तिसागर ] ====== 000000 O .... • • अनेकान्तको २००) की सहायता श्रीमान् बाबू नन्दलालजी जैन, सुपुत्र सेठ रामजीवनजी सरावगी कलकत्ता, वरसेवामन्दिर और उसके 'अनेकान्त' पत्रसे बड़ा स्नेह रखते हैं – दोनों को ही समय समयपर अच्छी सहायता भेजते तथा भिजवाते रहते हैं, जिससे अनेकान्तके पाठक और वीर सेवामन्दिरके 'मत्साधुस्मरण - मङ्गलपाठ' तथा 'न्यायदीपिका' जैसे प्रकाशनोंको पढ़ने वाले भले प्रकार परिचित हैं। हाल में आपने बिना किसी प्रेरणाके अपने दो पुत्रोंकी रसे 'अनेकान्त'को दोसौ रुपयेकी सहायता निम्नप्रकार भिजवाई है, जिसके लिये आप और आपके पुत्र दोनों ही हार्दिक धन्यवादके पात्र हैं। आप अपने पुत्रों आदिके हाथ से दान कराकर उनमें शुरू से ही दानकी भावना भर रहे हैं, यह बड़ी ही प्रसन्नताका विषय है और दूसरोंके लिये अनुकरणीय है । ऐसे ही सद्विचारों एवं सत्प्रवृत्तियोंसे समाज ऊंचा उठा करता है । हार्दिक भावना है कि आपके ऐसे शुभ विचारोंमें सदा प्रगति और दृढ़ताकी प्राप्ति होवे : १०० चि० बाबू शान्तिनाथकी ओरसे । १००) चि० बाबू निर्मलकुमार की ओर से । - अधिष्ठाता 'वीरसेवामन्दिर'
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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