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________________ किरण १] ग़दरसे पहलेकी लिखी हुई ५३ वर्षकी 'जंत्रीस्त्रास' बहादुरकी दग्ध अस्थियां यानी फूल मौजा गदरहेगी में बहुत मंजूर हुमा। बड़े हजूमके साथ दफनाए गये। ११ से १८ दिसम्बर, रविवार से शनिवार--चेक १५ मार्च १८४१, सोमवार-ना. मुहरसिंह (महा- की बीमारी सैंकडोंबई मर गये। हरनपुर) और सरयद मेहरबानमनी (चिलकाना) ने कस्बा २८ जनवरी १८४३, शनिवार--इस तारीख में सरमावाके ५ बिस्वे(चौथाई जमीदारीके) नीलाममें खरीदे। मुन्सिफ साहब चिलकानेका वह फैपना जजम्पाहवकी २० मार्च १८४१ शनिवार--मुन्शी कालेराय साहब अदालतसे बहाल व बरकरार हा जिसमें सरसावाकी पांच (सुजतानपुर नि०) मुजफ्फरनगरके डिप्टीकलक्टर हुए। विस्वे जमींदारी मिल्कियत सरफ़राज़ली रहमवश और २५ जून १८४१, शुक्रवार-वर्षाका छाला (प्रथमा- पीलवां वगैरहकी बा. बारूमल व संयद रमजानमाली वतार) मालामाल करने वाला हुआ और तमाम जंगल मुश्तरियान नीलामके नाम की गई थी। मल सिन्धु नज़र आने लगा। अप्रैल १८४३, रविवार-रुबाई (पा) तारीख १४ दिसम्बर १८४१, मंगल-चच गुलाबसिंह का बाग दूलहराय (लिखी गई)स्वर्गवास हुमा। बारा नो शुद अजीब ताजा फिजाए, १६ दिसम्बर १८४१, रविवार--नन्वाब दोशमुह- यहरे हर दाम-श्राम जल्वा नुमाए । म्मदखां दुर्रानी मय डेढ़ सौ श्रादमियोंके समूह के कस्बा साल तारीख बा - मुमम्मा शुद, करनालसे चलकर सहारनपुरमें दाखिल हुए। हातिफे गुफ्त बारा दृलहराय ॥ ५ मार्च १८४२, शनिवार--पृथ्वीपर रातके समय चैत २४ संवत् १७.. भूकम्प हुमा। १ मई १८४३, सोमवार--- गजटमें हुक्म है कि २२ जून १८४२ बुध--वर्षाका छाला हुआ और कागज रहननामा - हिबेनामा वगैरह बिना दस्तखतखूब वर्षा हुई, यहां तक कि पांकी बाढ़म सदों घर को रजिष्टीके नाजायज होंगे। व पक्के हर शहर व गांवमें बर्वाद होगये और भादमी १५ जुलाई १८४३, शनिवार- सदरसे जारी हुए तथा जानवर बहुत भर गये। गजट मवर्यः ११ जुलाई के अनुपार कलक्टर सा. बहादुर २५ जुलाई १८४२, मोमवार-पांच विस्वे जमी का पर्वाना बनाम पारसदाम खजानची बाबत लिखने नाम दारी कस्बा परमावाकी डिग्री डिप्टाशख अहमद मुन्सिफमा० लेने वाले (खरीदार) काग़ज (स्टाम्प) का मय कीमत व.... की तजबीजमे बरूमल (पिपर बा० मुहरसिंह) व सैयद (वल्दियत) वमकूनन वगैरह व तारीख वगैरह प्राप्त हुआ। जामिनश्रजी ( पिसर मेहरबानन मी?) के नामपर (हकमें) २४ जुलाई १८४३, सोमवार-- कस्वा सरसावाके होगई। ५ बिम्बा (जमींदारी) पर जा. बारूमल व मस्यद जामिन २८ अगस्त १८४२, रविवार--मिती सप्तमीको (रमजान ?)अलीका दस्वज तहमीन सरसावा होगया। ला. मुहरसिंहके बागका सगून (मुहूर्त) बारहे मुन्सरिम २० अक्तूबर १८४३, शुक्रवार-लाहौरक वाली (मखदूम ? शाह सरसावा खासमें (हुश्रा)। सरदार शेरसिंह के फूल मय पुत्र व स्त्री महारनपुर में हजूम १० नवम्बर १८४२, गुरुवार-मन्दिरजीके साथ के साथ भाए (हरद्वार जाने के लिये)। वास्ते जात्रा हस्तिनापुरके गये । २२ दिसम्बर ५८४३, शुक्रवार--जनाब हारवे २ दिसम्बर १८४२, शुक्रवार-ओहदा वकालत साहब कलक्टर बहादुर परमावामें रौनक अफरोज हुए और देहरादून बनाम बख्तावरपिंह (पिसर जोरावरसिंह परसावा) मूलचन्द (या बूलचन्द) के पासमे अग़रावा (?) १५) रु. १ श्राप उक्त ला जोगवरसिंहजी कानूं गोके छोटे भाई थे। कीमत में खरीद किया आपके नीत पुत्र रंजीतमिद, दलपतगय और गोविन्दराय १ जून १८४४, शनिवार--घदी प्राध घड़ी (यकहुए हैं। पिछले दोनों पुत्रों के वंशज मौजूद हैं। नीमपाश) दिन बाकी रहा था कि पूज्य पिताजी दूलहराय
SR No.538008
Book TitleAnekant 1946 Book 08 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1946
Total Pages513
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size68 MB
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