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* ॐ अहम् *
वस्ततत्त्व-सघातक
विश्व तत्त्व-प्रकाशक
वापिक मूल्य ४)
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इस किरणका ।)
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N नीतिविरोधध्वंसी लोकव्यवहारवर्तक सम्प। परमागमसाज भुवनैकगुरुर्जयत्यनेकान्तः॥
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REPORT सम्पादक-जुगलकिशोर मुख्तार बीरसेवामन्दिर (समन्तभद्राश्रम) सरसावा जिला सहारनपुर अगस्त-सितम्बर भाद्रपद-आश्विनशुक्ल, वीरनिर्वाण संवत् २४७०. विक्रम सं. २००१
वप किरण १,२
वीर-शासनाभिनन्दन
सब जिन ! शासन-विभवो, जयति कलावपि गुणाऽनुशासन-विभवः । दोष-कशाऽमनविभवः, स्तुवन्ति चैनं प्रभा-कृशाऽऽसनविभवः ।।
-स्वयंभूस्तोत्र, श्रीसमन्तभद्रः
(हे वीर जिन!) आपका शासन-माहात्म्य-आपके प्रवचनका यथावस्थित पदार्थों के प्रतिपादन-स्वरूप गौरव-कलिकाल में भी जयको प्राप्त है-सर्वोकृष्ट रूपसे वर्त रहा है--, उसके प्रभावस गुणों में अनुशासनप्राप्त शिघ्यजनोंका भव विनष्ट हुआ है-संसार-परिभ्रमण सदाके लिये छूटा है--इतना ही नहीं, किन्तु जो दोषरूप चाबुकोंका निराकरण करने में समर्थ हैं-चाबुककी तरह पीड़ाकारी काम-क्रोधादि दोषोंको अपने पास फटकने नहीं देते और अपने ज्ञानादि-तेजसे जिन्होंने प्रासन-विभुत्रोंको-लोकके प्रसिद्ध नायकोंकोनिस्तेज किया है वे-गणधर-देवादि महात्मा-भी आपके इस शासन-माहात्म्यकी स्तुति करते हैं।'