SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 406
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शित्तन्नवाशल (दक्षिण भारतका लगभग ५वीं शताब्दीका प्राचीन गुफा मन्दिर) [ले० गुलाबचन्द्र अभयचंद्र जैन, भिल्लसा ] मदालसे लगभग २५० मीन तथा त्रिचनापलीसे लग- ममममें रहते थे। इनके पास प्राझी भाषामें कुछ मुनियों के मग ३३ मील दूर दक्षिणमें एक पुदुकोटा नामक रियासत नाम तथा दूसरी शताब्दी (B.C.)के कालका खेल। इसकी राजधानी पुदुकोटासे १० मील उत्तर पश्चिममें कुछ अन्यके पास पुरानी तामिल भाषामें ८ वीं या वीं शित्तन्त्रबाशल नामका एक गांव है। एक पहाडीके नीचे यह शताब्दीका लेख है। गुफासे कुछ दूर पानीका एक छोटासा गांव बसा हुमा।यह पहादी पूर्वीपाटका एक टुकड़ा है। गहरा कुण्ड है। कहते हैं कि इसका पानी कभी नहीं यह पहावी उत्तर दक्षिण फैली हुई है। इसके तीन स्वा- सूखता है। इसी गुफाके उपर स्टेटका सर्वोच स्थान भाविक विभाग इसमें मध्य पहाडीके पूर्वीभागमें एक (Hianest spot)है। प्राकृतिक गुफा-जिसका तामिल नाम इलेविपहम् है-है। अब हम गुफा-मन्दिरकी सरक चोंगे। यह उत्तरी उत्तरी पहाडीके पश्चिमी तरफ पहाड काट कर बनाया हुआ पहादीके पश्चिमी तरफ जमीनसे लगभग ...फुट ऊंचाई एक जैनगुफा-मन्दिरहै। इस समय तो यहाँ एक भी जैन पर है। यह पल्लव-चशीम माहाराज महेन्द्रवर्मन प्रथम नहीं है लेकिन यह मन्दिर बतलाता है कि गत शताब्दियों द्वारा वीं शताब्दीमें बनवाया गया था। महाराजा महेन्द्र में यह जैनधर्मका प्रमुख केन्द्र था - वर्मन प्रथम पहिले कुछ समय तक जैन रहे किंतु बादमें प्राप! पहिले हम मध्य पहाडीके पूर्वी तरफ स्थित शैव मतानुयायी हो गये थे-ऐसा प्राप्त शिलालेखोंसे ज्ञात प्राकृतिक गुफाका निरोपण करें। गुफा तक पहुंचनेका होता है। यहाँ पास-पास उन्हींके बनवाये हुए शैवमन्दिर रास्ता बहुत खतरनाक है। जरा भी पैर चूका कि लगभग भी मिलते हैं। २०. फुट नीचे माप पहुँच जाएँगे। अाजकल स्टेटकी : इस मन्दिरकी रचना दक्षिण भारतमें महाराजा महेन्द्रतरफसे लोहेके रेलिंग लगवा दिए गए हैं, जिनके सहारे बर्मन-द्वारा निर्मित अन्य गुफा-मन्दिगैकेही समान है। पाप प्रासानीसे चढ़ सकते हैं। पश्रिमकी तरफसे हालसे इस समय मन्दिर में एक गर्भगृह, एक अर्भ-मरप है। चढ़ कर हम पूर्वकी तरफ, गुफामें पहुंचते हैं। रास्ते में कई पहिले इसके मागे एक मुखमण्डप भी था-ऐसा गुफाके जगह पत्थर काट कर पैर रखने के लिए स्णम बने हुए हैं। पास ही एक चट्टान पर खुवे हुए 'पांख्य शिक्षाखसे ज्ञात मालम होता कि पहिले गुफा निवासी मुनि इन्हींके सहारे होता. होता है। गर्भगृह लगभग १० फुट चौडा,.. innn ... गुफामें भाते जाते होंगे। फुट लम्बा तथा ७॥ फुट ऊँचा है। इसकी पिछली दीवाना 'हम गुफामें 1. पत्थरके विस्तर (Beds)इनमें पर पहाड काट कर बनाई हुई तीन मूर्तियां हैं। मूर्तियो किन्हीं किन्ही, तकिया भी लगा हुभा। इनसे कुछ पशासन तथा जगभग ३ फुट ऊंची है। ये जमीन नगपाखिशवार तथा बहुत चिकने हैं। इनमें जैनमुनिमंतिम भग फुट ऊँचाई पर है। मध्य तथा उत्तरकी तरफको * समीपस्थ ग्रामका नाम शित्तनवाशल (मिद्धएएल- मूतिके सिर पर पत्र है जो किहम मूर्तियोंको तीर्थकर वायिल-याने "सिद्ध तथा महान् पुरुषोका निवाम-स्थान" की मूर्ति प्रदर्शित करते हैं। दरिया तरफकी भर्तिके ऊपर अथवा "महान सिद्धोका निवासस्थान") भी इसी कथन एक ही पत्र। मालूम होताहै-यह किसी भाचार्य की पुष्टि करता है। अथवा चक्रवर्तिकी मूर्ति है।
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy