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________________ राजगिरिमें वीरशासनजयन्ती - महोत्सव (भावणकृष्ण १, २ ता० ७, ८ जुलाई सन् १६४४) अनेकान्तके पाठकों को यह तो बहुत पहलसे मालूम है कि इस वर्ष वीर-शासनजयन्तीका महोत्सव राजगृह (राजगिरि) में उस पवित्र स्थान पर ही मनाया जायगा, जहाँसे बीरशासनकी 'सर्वोतीर्थ-बारा' प्रवाहित हुई है। आज मैं इतनी सूचना और देना चाहता हूँ कि पिछले दिनों कलकत्ता में एक मीटिंग हुई थी जिसमें साहू शान्तिप्रसादजी, बा० निर्मलकुमारजी, सेठ बैजनाथजी सरावगी, बाबू बलदेवदासजी और बाबू छोटेलालजी आदि समाजके प्रमुख सज्जनोंने भाग लिया था । उसमें राजगिरिकी वर्षाकालीन स्थिति ओर कुछ जैन- श्रजैन विद्वानोंके पत्रों आदिको लक्ष्यमें रख कर यह तय किया गया है कि महोत्सवको दो भागों में बाँटा जाय-एक वार्षिकोत्सव और दूसरा 'साधे-द्वयसहस्राब्दि - महोत्सव' । वार्षिकोत्सवको वीरतीर्थकी प्रवृत्तिके नियत समय श्रावण - कृष्णप्रतिपदा को ही मनाया जाय और दूसरे महोत्सवको कार्तिक सुदिमें दीपावलिके करीब (अक्तूबर मासमें) रक्म्बा जाय तथा उसके साथ भा० दि० जैनतीर्थ क्षेत्र कमेटीका जल्सा भी किया जाय। दोनों ही उत्सव राजगिरिमें मनाये जायें और वार्षिकोत्सवके समय महोत्सव-सम्बन्धी सब योजनाओंको पूरी तौर से स्थिर कर लिया जाय । तदनुसार वार्षिकोत्सव की तारीखें ७, ८ जुलाई सन् १६४४ निश्चित की गई हैं । अतः चीरभगवान् के उपासकों और उनके शासनसे प्रेम रखने वाले सभी सज्जनोंसे निवेदन हैं कि वे इस पुण्य अवसर पर एक दिन पहलेसे ही राजगिरि पधारनेकी कृपा करें । समाजके विचारशील विद्वानों और दूसरे प्रतिष्ठित सज्जनोंको तो खास तौर से पधारना चाहिये, जिससे वार्षिकोत्सवकी सफलता के साथ महोत्सव-सम्बन्धी भावी प्रोग्रामके स्थिर करने में, जो यहुत ही महत्वपूर्ण है, उनकी पूरी मदद मिलसके । इस उत्सवका प्रोग्राम ता० ७ जुलाईको प्रातःकालसे ही प्रारम्भ हो जायगा, जब कि नगर में प्रभातफेरी करता हुआ जलूस विपुलाचल पर्वत पर उस सूर्योदय के समयसे कुछ पहले ही पहुँच जायगा जिस समय वीरभगवानकी दिव्यबाणी खिरी थी और उनका धर्मतीर्थ प्रवर्तित हुआ था । वहाँ उस वक्त पर्वत पर ध्वजारोहण, पूजन-स्तवन, वीर-सन्देश- श्रवण और एक कीर्ति स्तम्भके लिये स्मृति - पट्ट (Memorial Tablet) के स्थापन आदिका महत्वपर्ण कार्य होगा । बादको नगरमें आक रतीसरे पहर से वार्षिक अधिवेशनकी कार्रवाई शुरू होगा, जो अगले दिन तक रहेगी और जिसमें वीर जीवन और बीर- शासन पर विद्वानोंके भाषण होंगे तथा महत्वके प्रस्ताव पास किये जायँगे । -- रेलपथ से आनेवालोंको ई० आई० रेल्वेके बख्तियारपुर जंक्शन पर उतरना चाहिये, जहाँसे तीन गाडियाँ राजगिरिको जाती है-एक सुबह ६-३० पर, दूसरी दो पहरको १ बजे और तीसरी शाम को ६-२० पर - और कोई तीन घंटेमें राजगिरि पहुँचा देती है । प्रय १८ उ: ए — निवेदक जुगलकिशोर मुख्तार अधिठाता 'वीरसेवामन्दिर' जय प्रज
SR No.538006
Book TitleAnekant 1944 Book 06 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1944
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size28 MB
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